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पशुपालन विभाग में भर्ती घोटाला: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने SIT को जांच 3 हफ्ते में पूरा करने का दिया आखिरी मौका

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन साल से उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में पशुधन प्रसार अधिकारी पद के भर्ती घोटाले की जांच कर रही एसआइटी को तीन हफ्ते में जांच पूरी करने का आखिरी मौका दिया है। याचिका की सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 27 Mar 2021 12:59 AM (IST)Updated: Sat, 27 Mar 2021 01:03 AM (IST)
पशुपालन विभाग में भर्ती घोटाला: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने SIT को जांच 3 हफ्ते में पूरा करने का दिया आखिरी मौका
हाई कोर्ट ने पशुपालन विभाग में भर्ती घोटाले में एसआइटी को जांच पूरी करने का आखिरी मौका दिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन साल से उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में पशुधन प्रसार अधिकारी पद के भर्ती घोटाले की जांच कर रही एसआइटी को तीन हफ्ते में जांच पूरी करने का आखिरी मौका दिया है। यह भी कहा है कि फिर भी जांच पूरी नहीं होती तो एसआइटी प्रमुख डायरेक्टर जनरल व्यक्तिगत हलफनामा देकर स्पष्ट करें कि किन कारणों से जांच पूरी नहीं हो पा रही है। याचिका की सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।

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यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने मोहम्मद अकरम व पांच अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कमेटी ने चयन में व्यापक अनियमितता होने की रिपोर्ट दी थी। इसके बाद कोर्ट ने एसआइटी गठित की। जांच लटकी रहने पर कोर्ट ने 30 अप्रैल, 2020 तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था, इसके बावजूद कुछ नहीं किया गया।

23 नवंबर, 2020 को कोर्ट ने प्रमुख सचिव से रिपोर्ट मांगी तो उन्होंने तीन माह का समय मांगा। अवधि बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। इस पर कोर्ट ने सरकारी मशीनरी के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए तल्ख टिप्पणी की और कहा सरकार समाधान नहीं चाहती। जिस तरीके से एसआइटी जांच चल रही है अतिरिक्त समय की जरूरत है। तीन साल बीत गये हैं, जांच पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद कोर्ट ने जांच पूरी करने का तीन हफ्ते का आखिरी मौका दिया है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में 1148 पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती कि लिये 100 की बजाय 80 नंबरों के लिये लिखित परीक्षा कराई गई। जबकि, 20 नंबर इंटरव्यू के लिये रखे गए। आरोप है कि इंटरव्यू के इन्हीं नंबरों के जरिए मनपसंद अभ्यर्थियों को चुन लिया गया। भर्ती घोटाले की जांच सरकार ने 28 दिसंबर, 2017 को एसआइटी को सौंपी थी।


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