जांच में फर्जी मिले शैक्षिक दस्तावेज, आंगनबाड़ी सहायिका की मानदेय सेवा समाप्त Prayagraj News
शैक्षिक योग्यता संबंधी प्रमाणपत्र की जांच प्रधानाचार्य सीताराम सिंह इंटर कॉलेज बाबूगंज से कराई। जांच के बाद प्रधानाचार्य ने अवगत कराया कि संगीता इस विद्यालय की छात्रा ही नहीं थी।
प्रयागराज, जेएनएन: फूलपुर के थानापुर आंगनबाड़ी केंद्र में तैनात सहायिका संगीता वर्मा के शैक्षिक अभिलेख फर्जी पाए जाने पर उनकी मानदेय सेवा समाप्त कर दी गई। इस मामले में कई अधिकारियों पर भी तलवार लटक रही है। दरअसल, सहायिका नियुक्ति में धांधली की आशंका जताई जा रही है, जिसमें विभाग के अफसरों की मिलीभगत बताई जा रही है।
अंकपत्र और स्थानांतरण प्रमाण पत्र फर्जी मिले
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि बाल विकास परियोजना फूलपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत सेमरी के आंगनबाड़ी केंद्र थानापुर की सहायिका संगीता वर्मा के शैक्षिक अभिलेख फर्जी होने की शिकायत मिलने पर सीडीपीओ ने सहायिका की फाइल में लगाए गए शैक्षिक योग्यता संबंधी प्रमाणपत्र की जांच प्रधानाचार्य सीताराम सिंह इंटर कॉलेज, बाबूगंज से कराई। जांच के बाद प्रधानाचार्य ने अवगत कराया कि संगीता इस विद्यालय की छात्रा ही नहीं थी। और न ही इनका अंकपत्र और स्थानांतरण प्रमाण पत्र इस विद्यालय के अभिलेख में दर्ज है। फर्जी साक्ष्यों के आधार पर नौकरी प्राप्त करने वाली सहायिका संगीता वर्मा की मानदेय सेवा डीएम के अनुमोदन पर समाप्त कर दी गई।
असिस्टेंट प्रोफेसर सत्यवान का जाति प्रमाण पत्र अवैधानिक
सीएमपी डिग्री कॉलेज में सहायक प्रोफेसर सत्यवान कुमार नायक के अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, असिस्टेंट प्रोफेसर सत्यवान का अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र अवैधानिक है। उनके द्वारा सहायक प्रोफेसर पद चयन के दौरान संलग्न जाति प्रमाण पत्र गोरखपुर जिले के बांसगांव तहसील द्वारा 2008 में जारी किया गया है। जबकि जिलाधिकारी गोरखपुर की ओर गठित जिला स्क्रूटनी कमेटी ने 2014 में उनके जाति प्रमाण को निरस्त कर दिया है।
नियुक्ति के बाद जाति प्रमाण पत्र को लेकर हुई थी शिकायत
सत्यवान ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में रिट की है। लेकिन, निरस्त हुए जाति प्रमाण पत्र के पक्ष में कोई स्थगन आदेश नहीं है। ऐसे में जिलाधिकारी गोरखपुर की ओर से जाति प्रमाणपत्र निरस्त किए जाने का आदेश प्रभावी है। सीएमपी डिग्री कॉलेज में पांच सितंबर को असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। प्रो. सत्यवान ने इस विज्ञापन के सापेक्ष असिस्टेंट प्रोफेसर विधि के पद पर आवेदन किया। आवेदन में उन्होंने अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र संलग्न किया था। आरक्षण का लाभ लेते हुए सत्यवान का चयन सीएमपी डिग्री कॉलेज के विधि विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर हुआ। इसके खिलाफ विवि को कई शिकायतें की गई, जिस पर कॉलेज के प्राचार्य ने जांच कमेटी गठित की थी।