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प्रतापगढ़ में खुदाई में मिली सल्तनत कालीन प्राचीन मूर्ति, कुतुबमीनार से पहले की है निर्मित

सदर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सभा कोनी में शिवगढ़ धाम है। बाबा लालदास शिवगढ़ के नाम से विख्यात गांव में भगवान राम का तीन मंजिला मंदिर है। गांव में मां दुर्गा के मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। खुदाई के दौरान देवी की प्राचीन मूर्ति व ईंट पत्थर मिले।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 07:14 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 07:14 PM (IST)
प्रतापगढ़ में खुदाई में मिली सल्तनत कालीन प्राचीन मूर्ति,  कुतुबमीनार से पहले की है निर्मित
टीले की खुदाई के दौरान देवी की प्राचीन मूर्ति व ईंट, पत्थर मिले। मूर्ति आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त है।

प्रतापगढ़,जेएनएन। शिवगढ़ धाम में मंदिर निर्माण के दौरान खुदाई में प्राचीन मूर्ति मिली है। पुरातत्व विभाग की टीम ने मूर्ति का परीक्षण कर बताया कि यह सल्तनत कालीन है। मूर्ति मां गौरी की है, जिसमें शिव परिवार विराजमान है।

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टीले की खुदाई के दौरान मिली मूर्ति

सदर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सभा कोनी में शिवगढ़ धाम है। बाबा लालदास शिवगढ़ के नाम से विख्यात गांव में भगवान राम का तीन मंजिला मंदिर है। गांव में मां दुर्गा के मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। टीले की खुदाई के दौरान देवी की प्राचीन मूर्ति व ईंट, पत्थर मिले। मूर्ति आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त है। जानकारी होने पर प्रशासनिक अधिकारियों ने मंदिर निर्माण समिति से संपर्क कर चर्चा की। इसके बाद पुरातत्व विभाग के सहायक क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. आरएन पाल, एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ के प्राचीन इतिहास के प्रवक्ता डॉ. पीयूषकांत शर्मा ने शिवगढ़ धाम में मूर्ति का परीक्षण किया। सहायक क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. आरएन पाल ने बताया कि सल्तनत कालीन यह मूर्ति करीब एक हजार वर्ष पुरानी है। टीम ने मंदिर में स्थित प्राचीन मूर्तियोंं का भी निरीक्षण किया।  

कुतुबमीनार से पहले की निर्मित है

पुरातत्व विभाग के सहायक क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. आरएन पाल के मुताबिक यह मूर्ति कुतुबमीनार से भी पहले की है। मध्य में मां गौरी और बाईं ओर भगवान गणेश व दाहिनी ओर खंडित रूप में कार्तिकेय हैं। सिरहाने पर शिवलिंग और नीचे नंदी की मूर्ति है। उनके अनुसार गांव का नाम शिवगढ़ होना भी शिव परिवार के कारण हो सकता है। शिवगढ़ धाम निवासी अधिवक्ता श्याम शरण पांडेय ने बताया कि पहले खपड़े से बना मंदिर था। बाद में ग्रामीणों के सहयोग से पक्का निर्माण किया गया। अब तीसरी बार मंदिर निर्माण हो रहा है।


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