आजादी का अमृत महोत्सव: प्रयागराज में कला यात्रा में लोक कलाकारों का दिखा अनूठा संगम
दोपहर दो बजे केपी कालेज से 750 लोक कलाकार और सैकड़ों की संख्या में एनसीसी कैडेट स्काउट गाइड के साथ कला यात्रा शुरू हुई। कला यात्रा में प्रतापगढ़ कौशांबी फतेहपुर व प्रयागराज के सभी ब्लाकों में लोक कला को जीवंत रख रहे कलाकार शामिल हुए।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। तीर्थराज प्रयाग के आध्यात्मिक वातावरण में बांसुरी पर मदमस्त करती धुन, ढोल की थाप पर कदम ताल और भुजाओं का करतल स्वर उठा। वहीं झांझ-मंजीरा के ध्वनि के साथ लगते जयकारे, लोक कलाओं को जीवंत करने का संकल्प, मन में हिलोर मारती देश भक्ति की बयार, रंग बिरंगी पोशाक, पगड़ी, बहुरूपिया का जाग्रत भाव भी दिखा। सड़कों पर ध्वजवाहकों का उद्घोष दिखा तो यह दृश्य हमेशा के लिए अपने हृदय में उतार लेने के लिए हजारों आंखे ठहर गईं। सड़क पर एक साथ उतरे साढ़े सात सौ लोक कलाकारों का जत्था जैसे-जैसे आगे बढ़ा, मानो शहर ठहर गया। जाम में फंसने के बाद भी लोग कलाकारों के मनोहारी स्वरूप को निहारते रहे।
सड़कों पर उमड़ा कलाकारों का हुजूम
दोपहर दो बजे केपी कालेज से 750 लोक कलाकार और सैकड़ों की संख्या में एनसीसी कैडेट, स्काउट गाइड के साथ कला यात्रा शुरू हुई। कलाकारों की कतार से एक किलोमीटर से अधिक लंबी लाइन दिखी। मेडिकल चौराहा, ऋषि भारद्वाज आश्रम, चंद्रशेखर आजाद पार्क, हिंदू हास्टल, लोक सेवा आयोग, हनुमान मंदिर, सिविल लाइंस से होते हुए यात्रा सीएवी इंटर कालेज मैदान पर समाप्त हुई। कला यात्रा में प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर व प्रयागराज के सभी ब्लाकों में लोक कला को जीवंत रख रहे कलाकार शामिल हुए।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन
शाम को सीएवी मैदान पर सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हुए। इसमें अन्य प्रदेशों के कलाकारों ने प्रदर्शन किया। भारतीय सौष्ठव क्रीड़ा के तहत पंजाब का गतका, मध्य प्रदेश का मलखंब के साथ-साथ ढेढ़िया नृत्य, पद्धमश्री सुनील जोगी व साथियों के द्वारा काव्य प्रस्तुति, नितिन मुकेश व साथियों द्वारा विभिन्न गीतों की प्रस्तुति हुई।
देश भक्ति की धुनें दिलाती रही जोश
लोक कलाकारों की अलग-अलग मंडली कला यात्रा में शामिल हुई। कलाकारों के अनूठे अंदाज को सभी देशभक्ति के रंग में रंगा। कौशांबी की जंगबली की टोली यह देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का बजाते हुए आगे बढ़ रही थी। धनूपुर के केशव प्रसाद की टोली मेरा रंग दे बसंती चोला, माय रंग दे बसंती चोला के साथ आगे बढ़ रहा था। केशव प्रसाद की टोली बांसुरी की धुन पर है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं की थीम पर आगे बढ़ रही थी। हर मंडली अपनी अलग अलग धुन और पहचान के साथ स्वयं और दूसरों में जोश भर रही थी। समापन के बाद कलाकारों ने अलग अलग मंडली में खड़े होकर जोरदार प्रस्तुति दी।
हाउज द जोश...
पूरी कला यात्रा के दौरान सबसे पीछे चल रहे एनसीसी कैडेट और स्काउट गाइड ने अपने हाथों में तिरंगा थामे रहे। कालेज का पोस्टर बैनर और यात्रा से संबंधित पोस्टर भी उनके साथ रहा। पूरे रास्ते वह भारत माता की जय और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। यात्रा के समापन के बाद सीएवी कालेज में ग्रुप में एकत्रित होकर कैडेट ने हाउज द जोश के जवाब में यश सर के गगनभेदी उच्चारण से पूरे माहौल में जोश भर दिया।