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Dr. Bansal Murder Case: साढ़े चार साल बाद पकड़ा गया सनसनीखेज हत्याकांड का मास्टर माइंड आलोक सिन्हा

जेल में ही एक रोज आलोक ने कहा कि वह डाक्टर बंसल को मारकर जेल भेजने का बदला लेना चाहता है। इस पर दिलीप ने कहा कि वह भी डाक्टर को मारना चाहता है क्योंकि डाक्टर ने उसके गांव में साढ़े तीन बीघा कीमकी जमीन खरीद ली है

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 08:34 PM (IST)Updated: Thu, 26 Aug 2021 07:55 AM (IST)
Dr. Bansal Murder Case: साढ़े चार साल बाद पकड़ा गया सनसनीखेज हत्याकांड का मास्टर माइंड आलोक सिन्हा
एसटीएफ ने डाक्टर बंसल की हत्या के सूत्रधार आलोक को गिरफ्तार कर लिया है

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। जीवन ज्योति ग्रुप आफ हास्पिटल के निदेशक रहे नामचीन लेप्रोस्कोपिक सर्जन डाक्टर एके बंसल के सनसनीखेज हत्याकांड का मास्टर माइंड आलोक सिन्हा आखिरकार कानूनी शिकंजे में आ गया है। घटना के तकरीबन साढ़े चार साल बाद 50 हजार रुपये का इनामी आलोक एसटीएफ प्रयागराज के हत्थे चढ़ा। उसे फारच्यूनर कार में जाते वक्त प्रयागराज के ही कीडगंज इलाके में बुधवार दोपहर गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने कुबूला कि वह डाक्टर बंसल के बेटे का DM (nephrology) में दाखिला नहीं करा सका तो उन्होंने धोखाधड़ी का मुकदमा लिखाकर उसे जेल भिजवा दिया। इसी खुन्नस में उसने दिलीप मिश्रा की मदद से शूटरों को सुपारी देकर डाक्टर का कत्ल कराया था।

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शुरूआती जांच में भी आलोक का नाम आया था सामने

रामबाग स्थित जीवन ज्योति अस्पताल के निदेशक डा. एके बंसल को 12 जनवरी 2017 की शाम सात बजे उनके चैंबर के भीतर गोलियों से शूट कर दिया गया था। दो शूटर गोलियां मारने के बाद पिछले रास्ते से फरार हो गए थे। यह घटना प्रदेश भर में कई दिन तक सुर्खियों में रही। पुलिस और क्राइम ब्रांच के साथ ही एसटीएफ भी घटना वाली रात से ही वारदात की तहकीकात में जुट गई थी। लखनऊ से एसपी एसटीएफ और एएसपी ने आकर यहां कैंप कर कई दिन तक छानबीन की। पुलिस और एसटीएफ की टीमों ने डाक्टर के तमाम विवादों को खंगाला, जमीन से लेकर आपसी खुन्नस तक के मामलों में खूब माथापच्ची की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका था। हालांकि घटना के बाद ही एसटीएफ के सामने एडमीशन माफिया आलोक सिन्हा का नाम आया था लेकिन वह दिल्ली से लेकर पटना तक कई बार छापेमारी के बावजूद पकड़ में नहीं आ सका था। इस तरह से डा.बंसल हत्याकांड चार साल से ज्यादा वक्त तक रहस्य के साए में बना रहा। डाक्टर की पत्नी डा. वंदना बंसल ने घटना की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की थी जिसकी प्रक्रिया भी शुरू थी।

शूटर शोएब की गिरफ्तारी पर हुआ राजफाश

लग रहा था कि यह हत्याकांड राज ही रह जाएगा तभी इसी साल पांच अप्रैल को एसटीएफ की प्रयागराज यूनिट ने प्रतापगढ़ में मांधाता इलाके के अपराधी शोएब को गिरफ्तार कर दावा किया कि डाक्टर को शूट करने में वह शामिल था जबकि दूसरे शूटर को पैसों के लिए हुए झगड़े की वजह से मार दिया गया है। उसने ही आलोक सिन्हा, दिलीप मिश्रा और अख्तर कटरा का नाम एसटीएफ को बताया। तब से एसटीएफ आलोक की तलाश में जोर-शोर से जुटी थी जिसकी गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपये का इनाम भी रखा गया था।

परेड मैदान में कार में दबोचा गया सिन्हा

एसटीएफ के डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार ने बताया कि इंस्पेक्टर केसी राय टीम के उपनिरीक्षक वेद प्रकाश पांडेय और अनिल सिंह समेत अन्य जवानों के साथ शहर में निकले थे तभी खबर मिली कि डाक्टर बंसल हत्याकांड का मास्टर माइंड आलोक सिन्हा किसी अधिवक्ता से मिलने के लिए कीडगंज परेड मैदान की तरफ मिलने आया है। कुछ ही देर में एसटीएफ ने वहां घेराबंदी की और फिर फारच्यूनर कार के भीतर आलोक सिन्हा को दबोच लिया। उसके पास कुछ पैसे दो मोबाइल फोन और क्रेडिट कार्ड भी मिला। पूछताछ में आलोक ने बताया कि वह मूल रूप से बिहार में पटना का रहने वाला है। पढ़ाई पूरी कर दिल्ली चला गया था जहां दोस्तों के साथ मिलकर कोचिंग संस्थान खोला था। जिस इमारत में कोचिंग खोली थी उसके मालिक लखनऊ स्थित महर्षि योगी विश्वविद्यालय के चेयरमैन अजय प्रकाश श्रीवास्तव थे। उनसे मेलजोल होने पर उनके साथ लखनऊ में महर्षि योगी विश्वविद्यालय भी उसका आना जाना हुआ जहां डा. बंसल भी पार्टनर थे। इस तरह से आलोक की मुलाकात डा. बंसल से हुई। डा. बंसल ने आलोक से अपने बेटे अर्पित का डीएम (नेफ्रोलाजी) में एडमीशन कराने के लिए कहा। इसके लिए 55 लाख रुपये भी डाक्टर ने अलग अलग माध्यम से दिए। प्रयागराज आते-जाते वह डाक्टर के पास भी मिलने जाता था। डाक्टर के पास आने-जाने के दौरान ही आलोक का मिलना चाका के पूर्व ब्लाक प्रमुख दिलीपी मिश्रा से हुआ जो एक जमीन के सिलसिले में डाक्टर के पास आता था।

एडमीशन नहीं कराने पर जेल भेजा तो दिलीप से बढ़ी यारी

आलोक ने एसटीएफ को बताया है कि वह डाक्टर के बेटे का डीएम नेफ्रोलाजी में दाखिला नहीं करा सका तो वह पैसे वापस मांगने लगे और फिर उसके खिलाफ सिविल लाइंस थाने में एफआइआर करा दी। पुलिस ने आलोक को गिरफ्तार कर नैनी जेल भेज दिया। तब जेल की बैरक नंबर पांच में ही दिलीप मिश्रा, अख्तर कटरा, गुलाम रसूल जैसे कई अपराधी बंद थे। उन सबसे आलोक का मेलजोल हो गया। दिलीप ने उसके बेहतर रहने खाने का इंतजाम जेल में करा दिया। घर से टिफिन मंगाकर आलोक को भी साथ खिलाता था। दिलीप ने अपने गांव के दो लोगों से आलोक के जमानत की भी व्यवस्था करा दी थी। आलोक की पत्नी प्रयागराज आने पर दिलीप के लवायन कला स्थित घर में ही ठहरती थी।

और फिर रची गई कत्ल की साजिश

जेल में ही एक रोज आलोक ने कहा कि वह डाक्टर बंसल को मारकर जेल भेजने का बदला लेना चाहता है। इस पर दिलीप ने कहा कि वह भी डाक्टर को मारना चाहता है क्योंकि डाक्टर ने उसके गांव में साढ़े तीन बीघा जमीन खरीद ली है लेकिन उस पर कब्जा उसने कर रखा है। वह उस जमीन को डाक्टर को नहीं देना चाहता। इस तरह से डाक्टर बंसल के कत्ल की साजिश रचते हुए दिलीप मिश्रा ने अपराधी अख्तर कटरा से बात की। अख्तर ने प्रतापगढ़ के शूटरों का इंतजाम किया। आलोक ने 70 लाख रुपये सुपारी की रकम दी। इसके बाद 12 जनवरी 2017 की शाम डाक्टर को गोलियों से उड़ा दिया गया। एसटीएफ ने बताया कि आलोक के खिलाफ प्रयागराज के सिविल लाइंस और कीडगंज के अलावा दिल्ली के लाजपत नगर, साउथ वेस्ट दिल्ली के जफरपुर कला, हरियाणा के रेवाड़ी और रोहतक जनपद, कर्नाटक के मंगलौर में भी एडमीशन में धोधाखड़ी के मुकदमे दर्ज हैं।


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