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SHUATS के निलंबित शिक्षकों में समर्थन में उतरा इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, जानें पूरा मामला

सैम हिग्गनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शुआट्स) नैनी के दो शिक्षकों का ऑडियो वायरल होने के बाद विवि प्रशासन ने उन्‍हें निलंबित किया है। इन शिक्षकों के समर्थन में इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (आटा) आ गया है। आटा के अध्यक्ष ने रजिस्ट्रार को पत्र भेजा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 08:41 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 08:41 AM (IST)
SHUATS के निलंबित शिक्षकों में समर्थन में उतरा इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, जानें पूरा मामला
शुआट्स के दो शिक्षकों के निलंबन के‍ विरोध में इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (आटा) आ गया है।

प्रयागराज, जेएनएन। सैम हिग्गनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शुआट्स) नैनी में है। शुआट्स के दो शिक्षकों को निलंबन कर दिया गया था। इसके विरोध में अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (आटा) मैदान में आ गया है। शुआट्स के रजिस्ट्रार प्रो. रॉबिन एल. प्रसाद को आटा अध्यक्ष प्रो. राम सेवक दुबे ने पत्र भेजकर दोनों शिक्षकों के निलंबन की कार्रवाई वापस लेने की मांग की है। साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि निलंबन वापस नहीं लिया जाता तो आटा आंदोलन करेगा।

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आडियो वायरल होने के बाद शिक्षकों को निलंबित किया गया था

दरअसल, शुआट्स के एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग विभाग में डीन पद पर कार्यरत डॉ. अशोक त्रिपाठी और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संतोष श्रीवास्तव का बुधवार को एक ऑडियो वायरल हुआ था। इसमें दोनों शिक्षक शुआट्स के ही एक कर्मचारी से बात कर रहे थे। इस ऑडियो में वह संस्थान में तमाम तरह के भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे थे। मामले में विवि प्रशासन ने दोनों शिक्षकों को निलंबित कर दिया था।

'आटा' अध्यक्ष ने शुआट्स के रजिस्ट्रार को पत्र भेजा

इस प्रकरण में आटा अध्यक्ष प्रो. राम सेवक दुबे ने शुआट्स के रजिस्ट्रार प्रो. रॉबिन एल. प्रसाद को पत्र भेजकर कहा कि शिक्षकों के आचरण द्वारा, शिक्षा, शिक्षण, परीक्षा आदि विश्वविद्यालयीय गतिविधियों में किसी प्रकार से कोई अवहेलना भी नहीं की गई है। वरिष्ठ शिक्षकों के खिलाफ इस प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई सर्वथा निषिद्ध और तानाशाही की सीमा में आता है। स्वतंत्र भारत के संविधान में इस देश के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को शिक्षा, शिक्षण और अपने विचारों को प्रकट करने का पूरा अधिकार है। अति विशेष परिस्थितियों में भी उन पर इस प्रकार का प्रतिबंध किसी भी विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा नहीं थोपा जा सकता है।


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