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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी अतिथि प्रवक्ताओं का अनुबंध पूरा, आठ माह का मानदेय भी अटका

इवि में शिक्षकों की भर्ती नहीं होने के चलते सत्र 2020-21 में समय से पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने 36 विभागों में 215 अतिथि प्रवक्ताओं की नियुक्ति की थी। शिक्षकों के पद रिक्त होने के कारण पढ़ाई के साथ प्रैक्टिकल का पूरा जिम्मा अतिथि प्रवक्ताओं पर था।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 20 Dec 2021 06:30 AM (IST)Updated: Mon, 20 Dec 2021 06:30 AM (IST)
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी अतिथि प्रवक्ताओं का अनुबंध पूरा, आठ माह का मानदेय भी अटका
इलाहाबाद विश्वविद्यालय- 15 दिसंबर को अनुबंध पूरा होने से अब पढ़ाई को लेकर बना संशय

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में नियुक्त अतिथि प्रवक्ताओं का अनुबंध पूरा हो गया। शैक्षणिक सत्र 2020-21 के तहत फरवरी में नियुक्ति के बाद से अब तक केवल तीन महीने के मानदेय का भुगतान हो सका। इसके अलावा अगले सत्र के अनुबंध पर भी अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। ऐसे में पहली जनवरी को विश्वविद्यालय खुलने पर पठन-पाठन का माहौल भी बेपटरी हो सकता है।

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इवि में शिक्षकों की भर्ती नहीं होने के चलते सत्र 2020-21 में समय से पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने 36 विभागों में 215 अतिथि प्रवक्ताओं की नियुक्ति की थी। शिक्षकों के पद रिक्त होने के कारण पढ़ाई के साथ प्रैक्टिकल का पूरा जिम्मा अतिथि प्रवक्ताओं पर ही था। फरवरी में नियुक्ति के बाद 15 मई तक अनुबंध बढ़ाया गया।फिर 15 जुलाई और 15 दिसंबर तक सभी का अनुबंध कुलपति के निर्देश पर बढ़ाया गया। इन सबके बीच मानदेय का भुगतान भी नहीं हुआ। मानदेय का भुगतान नहीं होने से अतिथि प्रवक्ताओं के सामने संकट तो है ही अलबत्ता इवि प्रशासन पर भी वित्तीय भार बढ़ता जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीच में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को पत्र भेजकर 10 करोड़ रुपये स्पेशल ग्रांट की मांग भी की। हालांकि, वहां से कोई जवाब नहीं आया है। इस लिहाज से कुछ विभागों में तीन महीने का मानदेय दिया गया पर वह नाकाफी रहा। वर्तमान में कई विभागों में तो पूरा और कई में आठ महीने का मानदेय अटका है।

पीआरओ का है कहना

विश्वविद्यालय द्वारा अतिथि प्रवक्ताओं के लगभग तीन महीने के वेतन अपने आंतरिक स्त्रोतों से दिए जा चुके हैं। अतिथि प्रवक्ताओं के वेतन की ग्रांट यूजीसी से अभी आई नहीं है। इस संदर्भ में प्रयास हो रहे हैं। शीघ्र ही इस दिशा में प्रगति के आसार हैं। कार्यकाल भी पूरा हो गया है। आगे की व्यवस्था का निर्णय विचाराधीन है।

- डा. जया कपूर, पीआरओ


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