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इलाहाबाद विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ नाखुश, विश्‍वविद्यालय प्रशासन पर लगाए ये आरोप

आक्‍टा कार्यकारिणी की बैठक में सदस्यों ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कई महाविद्यालयों में प्रोफेसर पद में प्रोन्नति भी कर दी गई। वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों में प्राध्यापकों से करियर एडवांसमेंट स्कीम कैश अंतर्गत प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति को आवेदन पत्र एक वर्ष पूर्व भराए गए थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 07:55 AM (IST)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ नाखुश, विश्‍वविद्यालय प्रशासन पर लगाए ये आरोप
इलाहाबाद विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ (आक्टा) के पदाधिकारी शिक्षक प्रोन्‍नति मामले में विश्‍वविद्यालय प्रशासन से नाखुश हैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ (आक्टा) के पदाधिकारी विश्‍वविद्यालय प्रशासन से नाखुश हैं। आक्‍टा पदाधिकारियों ने इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया है। आप भी जानें कि आक्‍टा पदाधिकारी महाविद्यालय के शिक्षकाें की किन मांगों का समर्थन कर रहे हैं। उन्‍होंने विश्‍वविद्यालय प्रशासन पर क्‍यों आरोप लगाया है।

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महाविद्यालयों में प्राध्‍यापकों के प्रोन्‍नति की उठी मांग

आक्‍टा कार्यकारिणी की बैठक ईश्वर शरण पीजी कालेज में हुई। बैठक में सदस्यों ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों में बाद में प्रोन्नति के फार्म भराए गए। वहां अनेक महाविद्यालयों में प्रोफेसर पद में प्रोन्नति भी कर दी गई। वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों में प्राध्यापकों से करियर एडवांसमेंट स्कीम कैश (कैश) के तहत प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए आवेदन पत्र लगभग एक वर्ष पूर्व भराए गए लेकिन अबतक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।

आक्‍टा कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्‍ताव पारित

यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि जिस दिन विश्वविद्यालय के शिक्षक-कर्मचारियों को वेतन भेजा जाता है। उसी दिन महाविद्यालयों को भी भेजा जाना चाहिए। साथ ही ईसीसी तथा श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय में प्राचार्य और शिक्षक-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का विज्ञापन अविलंब कराए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया। अगले सत्र के क्रेट के विज्ञापन के पहले शोध और परास्नातक कक्षाओं की स्वीकृति के लिए अविलंब महाविद्यालयों का निरीक्षण कराने की मांग भी उठी। साथ ही एचआरए तथा पीएचडी वेतन वृद्धि के देय एरियर अविलंब दिए जाने की मांग की गई।

विज्ञानियों की प्रोजेक्‍ट संबंधी फाइलों का भी उठा मसला

इस बात पर रोष व्यक्त किया गया कि सीएमपी के विश्वस्तरीय शोध विज्ञानी डा. विजय प्रताप सिंह जैसे महाविद्यालयों के उत्कृष्ट विज्ञानियों की प्रोजेक्ट संबंधी फाइलें विश्वविद्यालय के कर्मियों की अलमारी में दबाई- छिपाई जाती हैं। इससे उनको प्रोजेक्ट स्वीकृत होते हुए भी समय से पैसे न मिलने जैसी अपमानजनक समस्या का सामना करना पड़ता है। बैठक की अध्यक्षता आक्टा अध्यक्ष डा. सुरेंद्र पाल सिंह और संचालन महासचिव अमित सिंह ने किया। इस दौरान डा. उमेश सिंह, डा. शिवहर्ष सिंह, डा. नीलिमा सिंह, डा. संघसेन सिंह, डा. वेद प्रकाश मिश्र, डा. कौमुदी श्रीवास्तव, डा. नरेंद्र कुमार सिंह, आनंद कुमार, डा. उत्तम सिंह, डा. आशीष मिश्र, डा. प्रवीण कुमार सिंह, डा. शिव शंकर श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।


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