इलाहाबाद हाई कोर्ट मोहर्रम में ताजिया जुलूस की अनुमति देने की याचिका पर कल सुनाएगा फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धार्मिक समारोहों के आयोजन पर लगी रोक को हटाकर मोहर्रम का ताजिया निकालने की अनुमति देने की मांग में दाखिल याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण धार्मिक समारोहों के आयोजन पर लगी रोक को हटाकर मोहर्रम का ताजिया निकालने की अनुमति देने की मांग में दाखिल याचिका पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है। इस मामले में 29 अगस्त को फैसला आएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता व न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने रोशन खान की याचिका पर दिया है।
याची अधिवक्ता वीएम जैदी, एसएफए नकवी व केके राय का कहना था कि धार्मिक समारोहों पर लगी रोक धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का हनन है। सरकार धार्मिक भेदभाव कर रही है। कई त्योहार मनाने की छूट दी गई है लेकिन, ताजिया निकालने की अनुमति नहीं दी जा रही है। वहीं, राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय का कहना था कि धार्मिक स्वतंत्रता पर कानून व्यवस्था, नैतिकता, लोक स्वास्थ्य को देखते हुए प्रतिबंधित किया जा सकता है। सरकार ने अगस्त माह में सभी धार्मिक समारोहों पर रोक लगाई है। इसमें किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया है। कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए सबसे धार्मिक कार्यक्रम घरों में रहकर मनाने का अनुरोध किया गया है।
बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर लागू लॉकडाउन की वजह से इस वर्ष मोहर्रम पर ताजिया के साथ किसी भी प्रकार का जुलूस नहीं निकलेगा। इस संबंध में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने स्पष्ट दिशा-निर्देश पिछले दिनों जारी कर दिए हैं। सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक सार्वजनिक स्थलों पर पंडाल नहीं सजेंगे और मुहर्रम पर जुलूस या ताजिया निकालने की पाबंदी रहेगी।
आपको बता दें कि 30 अगस्त को पड़ रहे मुहर्रम पर जुलूस और ताजिया निकालने की परंपरा है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण यह संभव नहीं हो सकेगा। पिछले दिनों अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा था कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तरह गणेश चतुर्थी पर्व के अवसर पर कहीं भी पूजा पंडाल में कोई भी मूर्ति स्थापित न की जाए और न ही कहीं शोभायात्रा की अनुमति दी जाए। इसी तरह मोहर्रम के अवसर पर किसी प्रकार के जुलूस व ताजिया की अनुमति न दी जाए।