जाति प्रथा पर इलाहाबाद हाई कोर्ट गंभीर टिप्पणी : समय आ गया है जब हमें इस व्यवस्था के खिलाफ खड़ा होना चाहिए
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी समाज में जाति प्रथा की जड़ें गहरी हैं लोग शिक्षित समाज में होने की डींग हांकते हैं परंतु जीवन दोहरा जीते हैं। समय आ गया है जब हमें जाति व्यवस्था के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।
प्रयागराज [विधि संवाददाता]। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आनर किलिंग के आरोप में जेल में बंद सन्नी सिंह की सशर्त जमानत मंजूर करते हुए जाति प्रथा पर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि भारत को स्वतंत्र हुए 75 साल बीत जाने के बाद भी जाति प्रथा समाज में गहरी जड़ें जमाए है। लोग अपने को शिक्षित समाज में होने का दंभ भरते हैं, परंतु दोहरा जीवन जी रहे हैं। समय आ गया है जब हमें जाति व्यवस्था के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।
न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने यह टिप्पणी करते हुए सत्र न्यायालय द्वारा याची की जमानत अर्जी खारिज करने के आदेश को रद कर दिया है। पीड़िता व परिवार को खतरे की आशंका जाहिर किए जाने पर पीठ ने एसएसपी गोरखपुर को सुरक्षा का निर्देश दिया है कि जरूरी पुलिस बल लगाएं जो कोई भी कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश करे, उससे सख्ती से निपटा जाए।
मामले के अनुसार शिकायतकर्ता का छोटा भाई अनीस कुमार अनुसूचित जाति (एससी) का था। वह उरूवा ब्लाक में ग्राम पंचायत अधिकारी नियुक्त किया गया था। मोटर साइकिल पर आए बदमाशों ने 24 जुलाई, 2021 की सुबह 10 बजे उसकी दिनदहाड़े तब हत्या कर दी जब वह चाचा के साथ बाजार गया था। चाचा भी गंभीर रूप से घायल हुए थे। एफआइआर में 17 लोगों पर हत्या व षडयंत्र का आरोप लगाया गया।
कहा गया है कि अनीस की गलती इतनी थी कि उसके साथ प्रशिक्षण ले रही सवर्ण जाति की लड़की से उसकी घनिष्टता बढ़ गई और उन्होंने शादी कर ली। लड़की के घर वाले इस शादी से नाखुश थे, इस कारण षडयंत्र कर उसकी दिनदहाड़े हत्या कर दी गई।
याची के वकील का कहना था कि लड़की के नजदीकी व खून का संबंध रखने वाले आरोपियों की जमानत पहले मंजूर हो चुकी है। याची का लड़की से न तो कोई रक्त संबंध है और न ही उसका इस अपराध में कोई हाथ है। लड़की ने 161 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत दिए अपने बयान में याची के संबंध में कुछ भी नहीं कहा है।