वक्फ संपत्ति मामले में आजम खां की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाई कोर्ट में वक्फ संपत्ति के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को लेकर के आजम खां की याचिका पर सुनवाई हुई।
प्रयागराज, जेएनएन। रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद मो. आजम खां के खिलाफ वक्फ संपत्ति के घोटाले के आरोप में दर्ज प्राथमिकी रद करने की मांग में दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। आजम खां के खिलाफ रामपुर में कई प्राथमिकियां दर्ज कराई गई है।
वक्फ संपत्ति के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को लेकर के आजम खां की याचिका पर मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की पीठ में सुनवाई हुई। उन तमाम मामलों में भी उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की है। अग्रिम जमानत की अर्जी पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की गई है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को इस मामले में समय से जवाब दाखिल करने की हिदायत दी। याचिका पर अधिवक्ता सफदर काजमी ने बहस की। इसी प्रकार से अग्रिम जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति डीपी सिंह की अदालत में सुनवाई हुई।
यह है मामला...
सपा सांसद आजम खां पर रामपुर स्थित जौहर यूनिवर्सिटी के लिए शत्रु संपत्ति कब्जाने का आरोप है। यह संपत्ति 13.842 हेक्टेअर है। इसे रामपुर के इमामुद्दीन कुरैशी की दर्शाया गया है, जो विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे। इस तरह उनकी संपत्ति को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया था। यह शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज है। शिकायत पर जांच हुई तो पता चला कि यहां इमामुद्दीन कुरैशी नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता था। इस नाम के व्यक्ति लखनऊ के कोतवाली सआदत गंज क्षेत्र में दीनदयाल रोड स्थित मुहल्ला अशर्फाबाद में रहते थे, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए। जब वह मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले थे तो उनके नाम पर रामपुर में संपत्ति कहां से आ गई और किस तरह राजस्व अभिलेखों में अंकित भी हो गई।