Move to Jagran APP

Dr. Kafeel Khan: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- डॉ. कफील खान पर NSA अवैध, तत्काल रिहा करें

Dr. Kafeel Khanइलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर कफील खान को एनएसए के तहत गिरफ्तार करने तथा लगातार उसकी अवधि बढ़ाने के मामले को गैरकानूनी करार दिया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 11:56 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 03:17 PM (IST)
Dr. Kafeel Khan: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- डॉ. कफील खान पर NSA अवैध, तत्काल रिहा करें
Dr. Kafeel Khan: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- डॉ. कफील खान पर NSA अवैध, तत्काल रिहा करें

प्रयागराज, जेएनएन। गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में दो वर्ष पहले बच्चों की मौत के बाद से चर्चा में आए डॉ. कफील खान अब बेहद सुर्खियों में हैं। अलीगढ़ के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए, एनआरसी व एनपीए के विरोध में उनके ऊपर एनएसए के तहत कार्रवाई को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अवैध करार दिया है। कोर्ट ने इसके साथ ही मथुरा जेल में करीब सात महीने बंद डॉ. कफील खान को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। माना जा रहा है कि मंगलवार शाम तक डाक्टर कफील की रिहाई हो सकती है।

loksabha election banner

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के डॉक्टर कफील खान की रासुका के तहत  निरुद्धि को अवैध करार देते हुए उसे रद कर दिया है। इसके साथ ही निरुद्धि अवधि दो बार बढाये जाने को भी अवैध करार दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने नुजहत परवीन की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि एनएसए के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेना और इसके बाद हिरासत की अवधि को बढ़ाना गैरकानूनी है। कफील खान को तुरंत रिहा किया जाए। अलीगढ़ के डीएम ने नफरत अलीगढ़ में फैलाने के आरोप में डॉ. कफील पर रासुका लगाया था, उसके बाद से ही जेल में बंद हैं। इस कार्रवाई के खिलाफ कफील की मां ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी।

हाई कोर्ट ने कहा है कि डॉ. कफील खान को जिस हेट स्पीच को लेकर रासुका के तहत निरुद्धि की गयी है, उनकी प्रति कोर्ट को उपलब्ध नहीं कराई गई है। स्पीच की डिवाइस की कॉपी नहीं दी गयी। जिससे उसको निरुद्धि के खिलाफ सक्षम प्राधिकारी को प्रत्यावेदन देने व सुनवाई के अधिकार से वंचित किया गया है। दो बार निरुद्धि बढायी गयी है। इस आदेश की प्रति भी नहीं दी गयी। इस बाबत केवल टेलीग्राम से सूचित किया गया है, जबकि कानून के तहत आदेश की प्रति दिया जाना चाहिए था। ऐसा न कर संविधान के अनुच्छेद 22(5) का उल्लंघन किया गया है। जिसके कारण निरुद्धि विधि विरुद्ध होने के कारण अवैध है।

COVID-19 in UP: बढ़ते मामलों और कोविड प्रोटोकॉल के पालन को लेकर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर कफील खान को एनएसए के तहत गिरफ्तार करने तथा लगातार उसकी अवधि बढ़ाने के मामले को गैरकानूनी करार दिया।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 12 दिसंबर 2019 को सीएए के विरोध में छात्रों के प्रदर्शन के दौरान डॉक्टर कफील खान, योगेंद्र यादव ने भड़काऊ भाषण दिए। इस मामले में अलीगढ़, सिविल लाइंस थाने में एफआइआर दर्ज की गई। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता और बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफील खान को 13 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए, एनआरसी तथा एनपीए के विरोध के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 29 जनवरी 2020 को डॉ. कफील खान को मथुरा जेल भेज दिया गया। 10 फरवरी 2020 को सीजेएम अलीगढ़ ने कफील की जमानत अर्जी मंजूर कर ली और 13 फरवरी को जिलाधिकारी अलीगढ़ ने रासुका के तहत निरुद्धि का आदेश दिया।

कफील की मां ने रासुका निरुद्धि की वैधता को चुनौती दी थी। जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए निरुद्धि रद कर दिया है। इसके बाद डॉक्टर कफील ने जेल से पीएम मोदी को चिट्ठी लिख रिहा करने की अपील के साथ कोविड-19 मरीजों की सेवा करने की मांग की थी, उन्होंने सरकार के लिए एक रोडमैड भी भेजा था। वह करीब छह महीने से मथुरा की जेल में बंद हैं। कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाने में दर्ज एक केस में 29 जनवरी 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। जेल में रहते हुए रासुका की तामील कराई गई।

एमयू में दिया था भड़काऊ भाषण

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर डॉ कफील ने एएमयू में भड़काऊ भाषण दिया था। भड़काऊ बयानबाजी करने के लिए जिलाधिकारी अलीगढ़ ने 13 फरवरी 2020 को डॉ. कफील खान को रासुका में निरुद्ध करने का आदेश दिया। यह अवधि दो बार बढ़ा दी गई। हालांकि कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाना में दर्ज एक मुकदमे में 29 जनवरी, 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था। जेल में रहते हुए रासुका तामील कराई गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की है। 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से डॉ. कफील खान की मां की याचिका पर 15 दिन में फैसला लेने को कहा था। इसके बाद ही मंगलवार को हाईकोर्ट ने डॉ कफील की रिहाई का आदेश दिया है। 

यह भी पढ़ें: Dr. Kafeel Khan: डॉ. कफील के रिहाई आदेश पर प्रियंका गांधी ने दी UP कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को बधाई

गौरतलब है कि 10 व 11 अगस्त 2017 को बाबा राघवदास अस्पताल गोरखपुर में आक्सीजन आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होने के कारण दर्जनों बच्चों की मौत हो गयी थी। इसके बाद 22 अगस्त 2017 को डॉ. कफील खान को निलंबित कर दिया गया। इसी घटना को लेकर एफआइआर दर्ज करायी गयी। दो सितंबर 2017 को डॉ. कफील खान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। 

डॉ.कफील खान की पत्नी ने कहा- प्लीज एनएसए का गलत इस्तेमाल ना करें

इलाहाबाद हाईकोर्ट से डॉक्टर कफील खान को रिहा करने के आदेश के आदेश के बाद उनकी पत्नी ने रासुका के तहत पति के खिलाफ कार्रवाई को बेहद खेदजनक बताया। उनकी पत्नी शबिस्ता खान ने कहा उनकी जिंदगी से सात महीने छीन लिए गए, जिसे अब कोई वापस नहीं लौटा सकता है। एक निर्दोष व्यक्ति, जिसने कुछ नहीं किया है, उस पर एनएसए लगाकर उसे जेल में बंद कर दिया गया और सात महीनों तक उसे प्रताडि़त किया गया। वह सात महीने कोई वापस नहीं ला सकता है।

हम तो जब सोचते हैं कि ये सात महीने कैसे गुजरे हैं तो हमारी रूह कांप जाती है। अगर आपके पास एनएसए का पावर है तो उसे मिसयूज मत करिए। हां, अगर कोई दंगा कर रहा है या कुछ गलत कर रहा है तो जरूर उसे जेल में डाल दीजिए। उस पर एनएसए के तहत कार्रवाई कीजिए, लेकिन जिसने कुछ किया ही नहीं है, उस पर एनएसए लगा दिया गया और जेल में डाल दिया गया। शक्ति का गलत इस्तेमाल मत करिए।

यह भी देखें: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉ. कफील खान की रिहाई के दिए आदेश, NSA भी किया रद्द


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.