हाई कोर्ट ने कहा, दुष्कर्म निजता व शुद्धता के विरुद्ध अपराध, समझौते से खत्म नहीं हो सकता मामला
हाई कोर्ट ने कहा शादी की पहली रात दहेज की मांग पूरी न होने पर पति के जीजा ने बर्बर तरीके से दुष्कर्म किया। ऐसे आरोपी को समझौते के आधार पर छोड़ने से सभ्य समाज पर विपरीत असर पड़ेगा।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यौन अपराध को अलग किस्म का अपराध बताते हुए कहा है कि उसे समझौता करके समाप्त नहीं किया जा सकता। यह समाज साथ ही नारी की निजता व शुद्धता के अधिकार के विरुद्ध अपराध है।
यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने मुजफ्फरनगर निवासी कलीम व परिवार के चार अन्य लोगों की याचिका पर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि शादी की पहली रात दहेज की मांग पूरी न होने पर पति के जीजा ने बर्बर तरीके से दुष्कर्म किया। ऐसे आरोपी को समझौते के आधार पर छोड़ने से सभ्य समाज पर विपरीत असर पड़ेगा।
कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए समझौते के आधार पर चार्जशीट रद करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों का आचरण सभ्य समाज के मानकों के विपरीत है। यदि ऐसे समाज के विरुद्ध अपराधों में समझौते की अनुमति दी गई तो धनाढ्य व शक्तिशाली लोग आर्थिक, सामाजिक रूप से कमजोर पर दबाव डालकर अपराध को समझौते से खत्म करा लेंगे।
यह है मामला
छह मार्च 2019 को पीड़िता के साथ शादी हुई थी, जिसमें पीड़िता के परिवार के सात लाख रुपये खर्च हुए थे। इसके बाद भी ससुराल वालों ने दहेज के रूप में 50 हजार रुपये नकद की मांग की। लड़की पक्ष ने काफी मान-मनौव्वल करके किसी तरह बरात विदा कराई। दहेज की मांग पूरी न होने पर ससुराल में पहली रात में ही पीड़िता को परेशान किया गया। पति व उसके जीजा दाऊद ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। बेहोशी हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसकी सास ने गला दबाकर जान से मारने की कोशिश की। पीड़िता ने अपने बयान में यह बात कहा है। पीड़िता के भाई ने मीरापुर थाने में दुष्कर्म व दहेज उत्पीड़न के आरोप में एफआइआर दर्ज कराई। एफआइआर के आधार पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। अब याची का कहना है कि उसके बीच समझौता हो चुका है। दोनों पति-पत्नी की तरह से रह रहे हैं, इसलिए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुजफ्फरनगर की अदालत में चल रहे केस को रद किया जाए। कोर्ट ने उसे मानने से इंकार कर दिया है।