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इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश- मृतक आश्रित कोटे में विवाहित पुत्री को भी नियुक्ति पाने का अधिकार

हाई कोर्ट ने कहा जब कोर्ट ने मृतक आश्रित सेवा नियमावली के अविवाहित शब्द को लिंग के आधार पर भेद करने वाला मानते हुए असांविधानिक घोषित कर दिया है तो पुत्री के आधार पर आश्रित की नियुक्ति पर विचार किया जाएगा। इसके लिए नियम संशोधित करने की आवश्यकता नहीं है।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 09:45 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 12:26 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश- मृतक आश्रित कोटे में विवाहित पुत्री को भी नियुक्ति पाने का अधिकार
हाईकोर्ट ने कहा कि पुत्र की तरह पुत्री भी परिवार की सदस्य होती है, चाहे विवाहित हो या अविवाहित।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पुत्र की तरह पुत्री भी परिवार की सदस्य होती है, चाहे विवाहित हो या अविवाहित। कोर्ट ने कहा कि जब हाई कोर्ट ने मृतक आश्रित सेवा नियमावली के अविवाहित शब्द को लिंग के आधार पर भेद करने वाला मानते हुए असांविधानिक घोषित कर दिया है तो पुत्री के आधार पर आश्रित की नियुक्ति पर विचार किया जाएगा। इसके लिए नियम संशोधित करने की आवश्यकता नहीं है।

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हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज के याची के विवाहित होने के आधार पर मृतक आश्रित के रूप में नियुक्ति देने से इनकार करने के आदेश को रद कर दिया है। साथ ही दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने मंजुल श्रीवास्तव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य ने बहस की।

याची के अधिवक्ता का कहना था कि विमला श्रीवास्तव केस में कोर्ट ने नियमावली में अविवाहित शब्द को असांविधानिक करार देते हुए रद कर दिया है। इससे याची विवाहित पुत्री को आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने का अधिकार है। लेकिन, बीएसए ने कोर्ट के फैसले के विपरीत आदेश दिया है, जो अवैध है। सरकार की तरफ से कहा गया कि शब्द असांविधानिक है। लेकिन, नियम सरकार ने अभी बदला नहीं है, इसलिए विवाहित पुत्री को नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं है।

याची का कहना था कि उसकी मां प्राइमरी स्कूल चाका में प्रधानाध्यापिका थी। सेवाकाल में हृदयगति रुकने से मृत्यु हो गयी थी। याची के पिता बेरोजगार हैं। मां की मृत्यु के बाद जीवनयापन का संकट उत्पन्न हो गया है, क्योंकि उनकी तीन बेटियां हैं। सबकी शादी हो चुकी है। याची ने आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग की, जिसे अस्वीकार कर दिया गया।

हाई कोर्ट ने कहा कि अविवाहित शब्द को असांविधानिक करार देने के बाद नियमावली में पुत्री शब्द बचा है। बीएसए विवाहित पुत्री को नियम न बदले जाने के आधार पर नियुक्ति देने से इनकार नहीं कर सकते हैं। शब्द हटने से नियम बदलने की जरूरत ही नहीं है।

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