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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- भूमि बैनामे के लिए पावर ऑफ अटार्नी पंजीकृत होना जरूरी नहीं

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संपत्ति के बैनामे को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि संपत्ति का बैनामा कराते समय भूमि स्वामी द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 08:43 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 08:43 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- भूमि बैनामे के लिए पावर ऑफ अटार्नी पंजीकृत होना जरूरी नहीं
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- भूमि बैनामे के लिए पावर ऑफ अटार्नी पंजीकृत होना जरूरी नहीं

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संपत्ति के बैनामे को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि गैर पंजीकृत पावर ऑफ अटार्नी धारक व्यक्ति भी उतना ही अधिकृत है जितना पंजीकृत पावर ऑफ अटार्नी धारक होता है। यदि उस पर किसी प्रकार के फ्राड करने का आरोप साबित नहीं है तो पावर ऑफ अटार्नी का पंजीकृत न होना, बैनामे की राह का रोड़ा नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि संपत्ति का बैनामा कराते समय भूमि स्वामी द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत किया जाना चाहिए। यह दस्तावेज पावर ऑफ अटार्नी रखने वाला व्यक्ति भी मूल स्वामी के एजेंट के तौर पर प्रस्तुत कर सकता है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने बरेली के रवींद्र कुमार की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि राकेश चंद्र शर्मा और उनकी पत्नी कुंती शर्मा ने नेवादा में पांच प्लाट खरीदे थे। बाद में इसकी पावर ऑफ अटार्नी उन्होंने याची को दे दी। नोटरी पर हस्ताक्षर करने वालों के दस्तखत अधिवक्ता और नोटरी द्वारा सत्यापित किए गए है।

बाद में याची ने इनमें से तीन प्लाट की रजिस्ट्री कराने के लिए दस्तावेज सब रजिस्ट्रार बरेली के समक्ष प्रस्तुत किया। सब रजिस्ट्रार ने कई आपत्तियां लगाते हुए रजिस्ट्री करने से इनकार कर दिया। इनमें एक आपत्ति यह भी थी कि याची की पावर ऑफ अटार्नी महानिदेशक निबंधन द्वारा पंजीकृत नहीं है। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशिनंदन ने कहा कि पावर ऑफ अटार्नी का पंजीकृत होना कोई बाध्यता नहीं है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि याची के पक्ष में पावर ऑफ अटार्नी देने वालों ने उस पर किसी प्रकार के कदाचार या धोखाधड़ी का आरोप नहीं लगाया है। यह भी आरोप नहीं है कि उसने किसी धोखे या छल से इसे प्राप्त किया है। ऐसे में याची को रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने का पूरा अधिकार है।


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