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हाई कोर्ट ने कहा- निलंबन के अनुमोदन या इनकार करने से पूर्व सुनवाई का अवसर देना जरूरी नहीं

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले में अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबन का अनुमोदन न करने के निरीक्षक के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 07 May 2020 07:34 PM (IST)Updated: Thu, 07 May 2020 07:34 PM (IST)
हाई कोर्ट ने कहा- निलंबन के अनुमोदन या इनकार करने से पूर्व सुनवाई का अवसर देना जरूरी नहीं
हाई कोर्ट ने कहा- निलंबन के अनुमोदन या इनकार करने से पूर्व सुनवाई का अवसर देना जरूरी नहीं

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर प्रबंध समिति किसी अध्यापक या स्टाफ को निलंबित करके उसकी पत्रावली जिला विद्यालय निरीक्षक के अनुमोदन के लिए भेजता है, तब निलंबन का अनुमोदन या इनकार करने का आदेश देने से पूर्व प्रबंधक को सुनवाई का अवसर देना जरूरी नहीं है। यदि निलंबित अध्यापक ने निरीक्षक के समक्ष आपत्ति की है तो प्रबंधक को अवसर दिया जाना जरूरी है। निरीक्षक को आदेश में कारण भी स्पष्ट करना होगा।

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हाई कोर्ट ने जनता इंटर कॉलेज अहमदपुर ब्राह्मण, सहारनपुर के कार्यकारी प्रधानाचार्य राममित्र मिश्र के अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबन का अनुमोदन न करने के निरीक्षक के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रबंधन को प्रधानाचार्य के खिलाफ विभागीय जांच दो माह में पूरा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने कॉलेज की प्रबंध समिति की याचिका पर दिया है।

बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रबंध समिति का चुनाव कराने का निर्देश दिया था। जिला विद्यालय निरीक्षक को पर्यवेक्षक भेजकर निष्पक्ष चुनाव कराने का आदेश दिया। कार्यवाहक प्रधानाचार्य ने प्रबंधक से वेतन बिल पर हस्ताक्षर करने का अनुरोध किया, लेकिन प्रबंधक ने इनकार कर दिया। इससे उनमें कहासुनी हो गयी। फिर प्रबंधक ने विपक्षी प्रधानाचार्य को दुर्व्यवहार करने के आरोप में निलंबित कर दिया। निलंबन का अनुमोदन के लिए निरीक्षक को भेजा, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। प्रबंधक का कहना था कि आदेश देने से पहले समिति को सुनवाई का अवसर नहीं देना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है, लेकिन कोर्ट ने उसे सही नहीं माना है।


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