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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, 60 साल से पहले मौत होने पर नहीं रोक सकते ग्रेच्युटी का भुगतान

हाई कोर्ट ने 60 साल का विकल्प न देने के आधार पर याची को ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इनकार करने के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कन्नौज के के आदेश को रद कर दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 07:27 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, 60 साल से पहले मौत होने पर नहीं रोक सकते ग्रेच्युटी का भुगतान
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, 60 साल से पहले मौत होने पर नहीं रोक सकते ग्रेच्युटी का भुगतान

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि सहायक अध्यापक की पेंशन, ग्रेच्युटी आदि भुगतान के संबंध में 16 सितंबर, 2009 को शासनादेश जारी किया गया है। उसमें 60 साल की आयु से पहले मृत्यु होने की दशा में ग्रेच्युटी भुगतान पर रोक नहीं लगाने का नियम बनाया गया है। इसके क्लाज पांच में साफ लिखा है कि 60 साल या मृत्यु की दशा में ग्रेच्युटी भुगतान किया जाएगा।

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हाई कोर्ट ने 60 साल का विकल्प न देने के आधार पर विधवा याची को ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इनकार करने के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कन्नौज के तीन मार्च 2020 के आदेश को रद कर दिया है। साथ ही ऊषारानी केस के फैसले के तहत नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया है। इस केस में कोर्ट ने भुगतान मे देरी के लिए ब्याज देने का भी आदेश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने प्रेम कुमारी की याचिका की स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता कमल कुमार केशरवानी ने बहस की। याची के पति सुरेंद्र सिंह ग्राम्य शिक्षा निकेतन जूनियर हाईस्कूल जफराबाद उन्नाव में 1995 से सहायक अध्यापक नियुक्त थे। 10 फरवरी 2019 को सेवाकाल के दौरान उनकी मौत हो गयी। पेंशन आदि का भुगतान किया गया। लेकिन, अधिकारियों ने ग्रेच्युटी रोक दी। कहा गया कि उन्होंने 60 साल में सेवानिवृत्ति लेने का विकल्प नहीं भरा था। इस निर्णय को कोर्ट में चुनौती दी गई।


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