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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- बिहार के सीवान की घटना पर गोरखपुर में मुआवजे के लिए कर सकते दावा

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी के खिलाफ दावा इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता धारा-10 की नोटिस नहीं दी गयी है। जब बीमा कंपनी की शाखाएं हैं तो घटना स्थल के दूर दूसरे जिले में किया गया दुर्घटना मुआवजा दावा अस्वीकार नहीं किया जा सकता।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 09:42 PM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 09:42 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- बिहार के सीवान की घटना पर गोरखपुर में मुआवजे के लिए कर सकते दावा
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- बिहार के सीवान की घटना पर गोरखपुर में मुआवजे के लिए कर सकते दावा

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि बीमा कंपनी के खिलाफ दावा इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता धारा-10 की नोटिस नहीं दी गयी है। जब बीमा कंपनी की शाखाएं हैं तो घटना स्थल के दूर दूसरे जिले में किया गया दुर्घटना मुआवजा दावा अस्वीकार नहीं किया जा सकता। दावा पोषणीय है, इसमें क्षेत्राधिकार से बाधित नहीं है। कोर्ट ने बिहार राज्य के सीवान जिले की दुर्घटना पर गोरखपुर में मुआवजा दावा अवार्ड की वैधता की बीमा कंपनी की अपील को खारिज कर दिया है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिडला ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की आदेश के खिलाफ प्रथम अपील पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कर्मकार मुआवजा एक्ट सामाजिक सुरक्षा व कल्याणकारी विधायन है। यह कर्मकारों को संरक्षण प्रदान करने के लिए बनाया गया है। कोर्ट ने कहा कि धारा-10 नोटिस बगैर दावा सुनने को प्रतिबंधित करती है। लेकिन, इसकी कड़ी व्याख्या नहीं की जा सकती। नोटिस देने का उपबंध निर्देशात्मक है, अनिवार्य नहीं है। धारा-10 की नोटिस नहीं भी है तो भी अधिकरण दावे का निपटारा कर सकता है।

कोर्ट ने कहा कि क्षेत्राधिकार के आधार पर भी दावा खारिज नहीं किया जा सकता। बीमा कंपनी का कहना था कि दुर्घटना सीवान में हुई, जिससे दुर्घटना हुई वह गाड़ी भी सीवान की है। कंपनी की शाखा भी सीवान में है। ऐसे में गोरखपुर अधिकरण को दावा सुनने का अधिकार क्षेत्र नहीं है। जारी अवार्ड निरस्त किया जाए।

कोर्ट ने कहा कि घटना सीवान जिले की है। मुआवजा दावा करने वाले भूमिहीन श्रमिक है। वे सीवान से शिफ्ट कर गोरखपुर में रह रहे है। गाड़ी का मालिक कुशीनगर का है। बीमा कंपनी का आफिस भी गोरखपुर में है। ऐसे में कंपनी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उसका कोई वैधानिक नुकसान नहीं है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सीवान की घटना पर गोरखपुर में मुआवजा दावे का अवार्ड देना गलत नहीं है। अधिकरण को क्षेत्राधिकार है। केवल नोटिस न देने के कारण दावा खारिज नहीं किया जा सकता।


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