इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- आयुष्मान भारत योजना पूरे कर रही गांधी और आंबेडकर के सपने
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बदहाली के दौर से गुजर रहे किसानों के लिए निश्शुल्क इलाज की यह योजना बेहद कारगर रहेगी।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किसानों की जमीन अधिग्रहण मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना की प्रशंसा की है। कहा कि बदहाली के दौर से गुजर रहे किसानों के लिए निश्शुल्क इलाज की यह योजना बेहद कारगर रहेगी। कोर्ट ने कहा है कि किसानों को फसलों के उचित मूल्य का भुगतान भी किया जाना चाहिए। कोर्ट ने नोएडा विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि किसानों को 355 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से जमीन का मुआवजा तीन माह में दिया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने दिया है। कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि किसानों का जीवन लगातार नए प्रयोग और वजूद के लिए संघर्ष में बीत रहा है। उन्हें सूखा, बाढ़, लागत और मूल्यों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। औद्योगिक घरानों की तरह अपने उत्पाद की कीमत तय करने का उन्हें अधिकार नहीं होता। बिचौलिए किसानों की मेहनत की कमाई का फायदा उठाते हैं।
कोर्ट ने कहा कि सरकार किसानों को समान रूप से लाभ देने में नाकाम रही है। इसलिए उनकी जीविका के मूल अधिकार से जुड़ी जमीन के अधिग्रहण पर उन्हें उचित मुआवजा मिलना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने आयुष्मान भारत योजना की तारीफ भी की। कहा कि सरकार ने निश्शुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं देकर संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
कोर्ट ने नोएडा विकास प्राधिकरण को किसानों को 355 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजे का भुगतान तीन माह में करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण मुआवजे को लेकर दाखिल सैकड़ों किसानों की अपीलें मंजूर कर ली हैं और प्रत्येक को बतौर हर्जाना पांच हजार रुपये दिए जाने का निर्देश दिया है।
मालूम हो कि 1989 से 1992 तक गौतमबुद्धनगर के चार गांव छलेरा, आगाहपुर, मोरना तथा कोशियारपुर की जमीनें अधिग्रहीत की गईं। मुआवजे की भुगतान राशि में अंतर को लेकर मोरना गांव के रामपाल व सैकड़ों किसानों ने अपर जिला जज गाजियाबाद के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। कोर्ट ने आसपास के गावों की जमीन की दर के आधार पर मुआवजा देने का आदेश दिया है।