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दो बालिगों के शादी करने पर अपहरण का केस चलाने की अनुमति देना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग : हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि दो बालिगों का परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी करने पर अभियोजन को अपहरण का केस चलाने की अनुमति देना न केवल कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है वरन सुखी वैवाहिक जीवन मे हस्तक्षेप करना है। ऐसी एफआइआर रद होने योग्य है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 06:18 PM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 06:19 PM (IST)
दो बालिगों के शादी करने पर अपहरण का केस चलाने की अनुमति देना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग : हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने इटावा की कोतवाली में अपहरण के आरोप में दर्ज प्राथमिकी को रद कर दिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि दो बालिगों का परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी करने पर अभियोजन को अपहरण का केस चलाने की अनुमति देना न केवल कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है वरन सुखी वैवाहिक जीवन मे हस्तक्षेप करना है। ऐसी एफआइआर रद होने योग्य है।

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हाई कोर्ट ने इटावा की कोतवाली में अपहरण के आरोप में दर्ज प्राथमिकी व कार्रवाई को अनुच्छेद 226 की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए रद कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. केजे ठाकर तथा न्यायमूर्ति अजीत सिंह की खंडपीठ ने कपिल व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

याची के अधिवक्ता दिनेश कुमार मिश्र का कहना था कि पीड़िता की उम्र 19 साल और याची की उम्र 23 साल है। दोनों बालिग हैं और अपनी मर्जी से शादी की है किंतु लड़की के परिवार वालों ने अपहरण का केस दर्ज कराया है। याची पर अपहरण का कोई केस बनता ही नहीं है। इस तर्क से सहमत होते हुए कोर्ट ने दर्ज एफआइआर और कार्रवाई रद कर दी है।


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