इलाहाबाद हाई कोर्ट में डॉ. कफील खान की रासुका में निरुद्धि के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित
इलाहाबाद हाई कोर्ट में डॉ. कफील खान की रासुका में निरुद्धि के खिलाफ दाखिल याचिका पर दो दिन चली बहस के बाद शुक्रवार को निर्णय सुरक्षित कर लिया गया।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट में डॉ. कफील खान की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) में निरुद्धि के खिलाफ दाखिल याचिका पर दो दिन बहस चली। बहस के बाद शुक्रवार को कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया। डॉ. कफील खान की मां नुजहत परवीन की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ कर रही है। अलीगढ़ के जिलाधिकारी ने समाज में घृणा फैलाने वाले भड़काऊ भाषण देने आरोप में डॉ. कफील पर रासुका लगायी है। इसके तहत उनको नजरबंद किया गया है। याचिका में रासुका निरुद्धि की वैधता को चुनौती दी गयी है।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर भड़काऊ बयानबाजी करने के लिए जिलाधिकारी अलीगढ़ ने 13 फरवरी 2020 को डॉ. कफील खान को रासुका में निरुद्ध करने का आदेश दिया। यह अवधि दो बार बढ़ायी जा चुकी है। हालांकि कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाना में दर्ज एक मुकदमे में 29 जनवरी, 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था। जेल में रहते हुए रासुका तामील कराई गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की है। 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से डॉ. कफील खान की मां की याचिका पर 15 दिन में फैसला लेने को कहा था।
रासुका में निरुद्धि के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 24 अगस्त को याची अधिवक्ता को सरकारी पूरक हलफनामे का जवाब दाखिल करने का समय दिया था। साथ ही सरकार की ओर से याची के प्रत्युत्तर हलफनामे में दिए गए नए तथ्यों पर हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा गया था। कोर्ट ने दोनों पक्षों को समय दिया। फिर 27 व 28 अगस्त को कोर्ट में दोनों ओर से पक्ष रखा गया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है।