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हाई कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति प्रक्रिया पर हस्तक्षेप से किया इनकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया की खामियों को लेकर दाखिल याचिका पर कहा कि याची को विजिटर के समक्ष अपनी शिकायत करने का अधिकार है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 08:30 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 08:30 PM (IST)
हाई कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति प्रक्रिया पर हस्तक्षेप से किया इनकार
हाई कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति प्रक्रिया पर हस्तक्षेप से किया इनकार

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया की खामियों को लेकर दाखिल याचिका पर यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि याची को विजिटर के समक्ष अपनी शिकायत करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि याची की शिकायत पर विजिटर धारा 10 (11) के अंतर्गत कुलसचिव से कानूनी प्रक्रिया के विपरीत कार्यवाही का स्पष्टीकरण मांगकर अंतिम निर्णय ले सकते हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने संस्कृत विभाग के प्रो. रामसेवक दुबे की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

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याची का कहना था कि छह मार्च 2020 को दो सदस्यीय सर्च/नियुक्ति समिति नामित की गई, जिसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सीएल खेत्रपाल व पुणे विश्वविद्यालय के प्रो. गौतम सेन सदस्य हैं। प्रो. खेत्रपाल उसके द्वारा दाखिल केस से संबद्ध रहे हैं। ऐसे में वह याची के साथ पक्षपात कर सकते हैं। कानून व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइन के तहत कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया से उस विश्वविद्यालय से जुड़ा व्यक्ति संबद्ध नहीं होना चाहिए। प्रो. खेत्रपाल को सर्च कमेटी मे रखना कानून का उल्लंघन है।

वहीं, विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने कहा कि सर्च कमेटी ने शार्टलिस्टेड करने के बाद 15 लोगों का साक्षात्कार लेकर सूची कुलपति की नियुक्ति के लिए विजिटर को भेज दी है। इस पर कोर्ट ने याची को विजिटर के समक्ष अपनी शिकायत करने का निर्देश दिया है।


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