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सांसद आजम खां को फिर झटका, हाई कोर्ट का जौहर विश्वविद्यालय से टैक्स वसूली आदेश पर हस्तक्षेप से इनकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय रामपुर में 147.20 करोड़ रुपये की लागत से बने 16 भवनों के 1.36 करोड़ टैक्स और 2.72 करोड़ अर्थदंड जुर्माना की वैधता की चुनौती याचिका खारिज कर दी है।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 08:44 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 08:55 PM (IST)
सांसद आजम खां को फिर झटका, हाई कोर्ट का जौहर विश्वविद्यालय से टैक्स वसूली आदेश पर हस्तक्षेप से इनकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को टैक्स वसूली आदेश में राहत देने से इनकार कर दिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के सांसद मो. आजम खां के ड्रीम प्रोजेक्ट मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय रामपुर को टैक्स वसूली आदेश में राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने 147.20 करोड़ रुपये की लागत से बने 16 भवनों के 1.36 करोड़ टैक्स और 2.72 करोड़ अर्थदंड जुर्माना की वैधता की चुनौती याचिका खारिज कर दी है।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि कर निर्धारण आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करने का वैकल्पिक उपचार प्राप्त है। ऐसे में याचिका पोषणीय नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय रामपुर के अध्यक्ष मो. आजम खां व कुलसचिव के मार्फत दाखिल याचिका पर दिया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि याची को नोटिस पर सुनवाई का मौका दिया गया। याची ने शिक्षण संस्थानों कर छूट का लाभ देने की अर्जी दी है। लेकिन, कोर्ट इस मुद्दे पर विचार नहीं किया। केवल याचिका की ग्राह्यता पर सुनवाई की और राहत देने से इनकार कर दिया है।

बता दें कि मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी आजम खां का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। इसका 18 सितंबर 2006 को शिलान्यास हुआ था, उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव 52 मंत्रियों के साथ रामपुर आए थे। 18 सितंबर 2012 में इसका उदघाटन हुआ, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूरी सरकार के साथ आए। इस यूनिवर्सिटी की जमीनों को लेकर शुरू से ही विवाद रहा है।

किसान जमीनें कब्जाने का आरोप लगाते रहे हैं। साल 2019 में 26 किसानों ने मुकदमे भी दर्ज कराए थे। रामपुर जिला प्रशासन ने आजम खां को भू-माफिया भी दर्ज कर दिया था। प्रशासन ने इनको जमीन पर कब्जा भी दिला दिया। चकरोड की जमीनों पर भी कब्जा करने का आरोप था। उसे भी प्रशासन ने यूनिवर्सिटी की दीवारें तुड़वाकर खुलवा दिया था।


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