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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाथरस कांड की दूसरी याचिका की सुनवाई से किया इनकार, कहा- लखनऊ पीठ में दें अर्जी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाथरस कांड की न्यायिक जांच के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि लखनऊ बेंच ने इस मामले में सुनवाई कर रही है। ऐसे में एक ही मामले को लेकर दूसरी याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 08:57 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 09:05 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाथरस कांड की दूसरी याचिका की सुनवाई से किया इनकार, कहा- लखनऊ पीठ में दें अर्जी
हाई कोर्ट ने हाथरस कांड की न्यायिक जांच के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाथरस कांड की न्यायिक जांच के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि लखनऊ पीठ पहले से मामले में सुनवाई कर रही है। बबिता उपाध्याय की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है।

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याचिका में मांग की गयी थी कि जिला प्रशासन को आदेश जारी हो कि पीड़ित परिवार से जनता और मीडिया को मुलाकात करने से न रोका जाए। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि लखनऊ बेंच ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है। ऐसे में एक ही मामले को लेकर दूसरी याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

याचिका में यह भी मांग की गयी थी कि सरकार सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता व उनकी हत्या के मुआवजे के लिए एक नीति बनाए। कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि याची चाहे तो अपनी मांग को लेकर लखनऊ बेंच में अर्जी दायर कर सकता है। लखनऊ बेंच में पारित आदेश के बाद सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस केस की जांच सीबीआइ को सौंप दी है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के बेहद चर्चित हाथरस कांड की सीबीआइ जांच की स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 नवंबर को अपना पक्ष रखा है। सरकार ने हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार के खिलाफ कोई भी एक्शन न लेने पर सरकार ने चार दलील दी है। राज्य सरकार ने मामले में स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस राजन रॉय की खंडपीठ के सामने अपनी दलील रखी है।

बता दें कि हाथरस के चंदपा क्षेत्र के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म के दौरान उसके साथ बर्बर ढंग से मारपीट की गई। पीड़िता के परिवार ने गांव के ही चार युवकों पर वारदात को अंजाम देने का आरोप लगाया था। चारों अलीगढ़ जेल में बंद हैं। पीड़िता को इलाज के लिए पहले जिला अस्पताल, फिर अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज और फिर हालत गंभीर होने पर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। 30 सितंबर को पुलिस ने उसका आननफानन अंतिम संस्कार करा दिया, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। योगी सरकार ने केस की जांच के लिए एसआइटी गठित की और फिर जांच सीबीआइ को दी गई है। सीबीआइ ने आरोपितों का ब्रेन मैपिंग टेस्ट भी करा लिया है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है।


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