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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोनभद्र के रिहंद सरोवर में मत्स्य पालन ठेका रद करने पर हस्तक्षेप से किया इनकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोनभद्र के रिहंद सरोवर में मत्स्य पालन ठेका रद करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 10:21 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 10:21 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोनभद्र के रिहंद सरोवर में मत्स्य पालन ठेका रद करने पर हस्तक्षेप से किया इनकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोनभद्र के रिहंद सरोवर में मत्स्य पालन ठेका रद करने पर हस्तक्षेप से किया इनकार

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोनभद्र के रिहंद सरोवर में मत्स्य पालन ठेका रद करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। शर्तों का पालन न करने पर ठेका रद करके बकाया वसूली की कार्रवाई पर हाई कोर्ट ने रोक नहीं लगाई। कोर्ट ने कहा कि याची का पक्ष सुनकर ही उसे ब्लैक लिस्ट करने का निर्णय लिया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी व न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने प्रमोद सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

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याची का 22 नवंबर 2018 से 30 जून 2028 तक सोनभद्र के रिहंद सरोवर में मत्स्य पालन का ठेका 40 करोड़ 72 लाख 89 हजार 736 रुपये में स्वीकृत हुआ है। लेकिन, बाद में उसे घटाकर दस की जगह पांच साल का कर दिया गया। इससे 20 दिसंबर 2019 से 30 जून 2023 तक के लिए ठेका दिया गया। यह ठेका 15 करोड़ 60 लाख 19 हजार 220 रुपये में तय हुआ। इसमें बाद में ठेका दो साल और बढ़ाने की सहमति बनी। इसके तहत 25 प्रतिशत धनराशि शुरुआत में जमा करनी थी, जबकि शेष 75 प्रतिशत वार्षिक राशि समान किस्त में जमा करनी थी। लेकिन, याची ने कई बार नोटिस देने के बाद तीन किस्तें जमा नहीं की।

इस पर निदेशक मत्स्य पालन ने ठेका रद करके बकाया वसूली का निर्देश दिया है। याचिका में उसे चुनौती दी गयी थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि याची ने पूरी जानकारी नहीं दी। कोर्ट ने कहा कि याचिका पूरे तथ्यों दस्तावेजों के साथ दाखिल की जानी चाहिए। ऐसा न करना कोर्ट को धोखा देना है। याची ने शर्तें नहीं मानी। इस पर ठेका रद कर दिया गया। कोर्ट ठेका नहीं दे सकती। कोर्ट ने हर्जाने के साथ याचिका खारिज कर दी।


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