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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद की लखनऊ के जिला होमगार्ड कमांडेंट कृपा शंकर पाण्डेय की बर्खास्तगी

Allahabad High Court इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ के जिला होमगार्ड कमांडेंट कृपा शंकर पाण्डेय की सेवा बर्खास्तगी को रद कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने पाण्डेय के समस्त परिलाभों सहित सेवा बहाली का निर्देश दिया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 05:32 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 05:41 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद की लखनऊ के जिला होमगार्ड कमांडेंट कृपा शंकर पाण्डेय की बर्खास्तगी
इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ के जिला होमगार्ड कमांडेंट

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के एक निर्णय को पलट दिया है। कोर्ट ने सरकार के लखनऊ के जिला कमांडेंट होमगार्ड कृपा शंकर पाण्डेय की बर्खास्गी के आदेश को दुर्भावनापूर्ण बताया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने कृपाशंकर पाण्डेय की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ के जिला होमगार्ड कमांडेंट कृपा शंकर पाण्डेय की सेवा बर्खास्तगी को रद कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने पाण्डेय के समस्त परिलाभों सहित सेवा बहाली का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने याची कमांडेंट की बर्खास्तगी को दुर्भावना पूर्ण करार देते हुए कहा है कि जिन अधिकारियों की जवाबदेही थी ,उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

कोर्ट ने कहा कि अपर मुख्य सचिव गृह ने याची के जांच में बरी होने पर हाई कोर्ट के निर्देश के बावजूद निर्णय को लटकाए रखा। इसके बाद उसे अवमानना केस दायर करने को मजबूर किया। अवमानना केस दायर करने पर उसको सबक सिखाने के लिए मनमानी जांच करा कर बर्खास्त भी कर दिया। जिस अनियमितता के आरोप के लिए बर्खास्तगी की गई। उसकी जिम्मेदारी ही नहीं थी। कोर्ट ने कहा किसी भी ऐसी मनमानी कार्यवाही का अनुमोदन नहीं किया जा सकता।

याची पर आरोप लगाया गया कि उसने थाना विभूति खंड, गोमतीनगर में नौ होमगार्ड तैनात किए। जिसमें से पांच ने ड्यूटी नहीं की। चार ने अधूरी ड्यूटी की। इसमें वित्तीय अनियमितता की गई। जांच रिपोर्ट में याची को बरी कर दिया गया।और कहा गया कि होमगार्ड की ड्यूटी एनआइसी साफ्टवेयर के जरिए लगाती जाती हैं। इसके साथ ही प्लाटून कमांडर/कंपनी कमांडर थानाध्यक्ष की निगरानी में ड्यूटी लगाते हैं। अपर मुख्य सचिव के जांच रिपोर्ट पर निर्णय न लेने पर लखनऊ पीठ में याचिका दायर की। कोर्ट ने एक माह में निर्णय लेने को कहा। जिसका पालन नहीं किया तो अवमानना याचिका दायर की गई। अपर मुख्य सचिव ने नाराज होकर जांच सही नहीं माना। फिर से जांच बैठाई। इस दौरान एफआइआर दर्ज कराई गई। याची को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत पर रिहा किया गया। जांच में पूरक आरोप का जवाब न देने के कारण आरोप साबित मान बर्खास्त कर दिया गया। 


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