इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश- दैनिक कार्यावधि को नियमित सेवा में जोड़कर वेतनमान मांगना अनुचित
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि दैनिक वेतनभोगी कर्मी के नियमित होने के बाद पेंशन निर्धारण के लिए वरिष्ठता व पूरी सेवा अवधि जोड़ी जाएगी। लेकिन नियमित होने के बाद उसे दैनिक सेवा अवधि का नियमित वेतनमान पाने का हक नहीं है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि दैनिक वेतनभोगी कर्मी के नियमित होने के बाद पेंशन निर्धारण के लिए वरिष्ठता व पूरी सेवा अवधि जोड़ी जाएगी। लेकिन, नियमित होने के बाद उसे दैनिक सेवा अवधि का नियमित वेतनमान पाने का हक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि कर्मी पहले दैनिक सेवा अवधि का वेतन ले चुका है, जबसे नियमित किया गया है तभी से नियमित वेतन व अन्य परिलाभों के भुगतान पाने का हकदार है।
यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने बस्ती जिले में चौकीदार रामबहोरे व अन्य की याचिका पर दिया है। याचीगण क्रमश: 1989 व 1990 में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में नियुक्त हुए थे। उन्हें 1995 में बर्खास्त कर दिया गया। हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी रद करके उन्हें नियमित करने का निर्देश दिया। इस पर दो सितंबर 2003 को इनकी सेवा नियमित कर दी गयी।
एक याची 30 सितंबर 2017 को सेवानिवृत्त हो गया, जबकि दूसरे याची की इस दौरान मौत हो गयी। याचियों ने पुनरीक्षित वेतनमान व बकाया वेतन मांगा, जिसका सीडीओ ने भुगतान कर दिया। इसके बाद याची ने नियुक्ति तारीख 1980 से नियमित वेतनमान की मांग की। लेकिन, कोर्ट ने उसे नहीं माना।
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