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Allahabad High Court: मैनपुरी नवोदय छात्रा हत्याकांड की सुनवाई अब 11 नवम्बर को

16 सितंबर 2019 को 16 वर्षीय छात्रा जवाहर नवोदय स्कूल में फांसी पर लटकती मिली थी। पुलिस ने शुरू में दावा किया था कि आत्महत्या का मामला है। मां ने आरोप लगाया था कि उसे पीटा गया और जब वह मर गई तो उसे फांसी के फंदे पर लटका दिया।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 07:20 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 11:33 PM (IST)
Allahabad High Court: मैनपुरी नवोदय छात्रा हत्याकांड की सुनवाई अब 11 नवम्बर को
एसआइटी ने कहा 76 संदिग्ध की डीएनए रिपोर्ट मिली, शेष की रिपोर्ट भी जल्द मिलेगी

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी में 16 वर्षीय स्कूली छात्रा की कालेज परिसर में दुष्कर्म और हत्या के मामले में अब 11 नवम्बर को सुनवाई करने का निर्देश दिया है। प्रदेश सरकार की तरफ से नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता जीएस चतुर्वेदी ने हाई कोर्ट को बताया कि 228 लोगों का सैम्पल एकत्रित कर डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट के लिए हैदराबाद भेजा गया है। इसमें से 76 लोगों की डीएनए रिपोर्ट प्राप्त मिल गई है। बाकी लोगों की डीएनए रिपोर्ट शीघ्र ही मिल जाएगी। स्पेशल इन्वेशटिगेशन टीम (एसआइटी) इस मामले के हर पहलू की जांच कर रही है। सीसीटीवी फुटेज आदि पर पर जांच चल रही है। हाई कोर्ट से इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए और समय की मांग की गई। 

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याची ने कहा, पुलिस कर रही जांच में देरी

इस मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश राजेश बिन्दल व न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने महेन्द्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। याची महेन्द्र प्रताप सिंह ने खुद हाई कोर्ट के सामने हाजिर होकर अपना पक्ष रखा और कहा कि पुलिस इस मामले को जानबूझकर टाल रही है और जांच में देरी कर रही है ताकि साक्ष्य मिट जाएं। याची का कहना था कि यह मामला वैसे भी पुराना हो गया है और इसमें और देरी होने से साक्ष्य नहीं मिलेगा। याची का कहना था कि पुलिस इस मामले में लीपा-पोती कर रही है और वास्तविक मुल्जिम को सामने नहीं लाया जा रहा है।

तीन महीने बाद भी अभियुक्तों का बयान ही लिया था पुलिस ने

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के आदेश पर इस प्रकरण की जांच के लिए एसआइटी गठित कर इसमें अनुभवी अधिकारियों को शामिल किया गया है। हाईकोर्ट ने एसआइटी को छह सप्ताह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था। इस मामले में जांच में लापरवाही पर एएसपी, डिप्टी एसपी और विवेचना अधिकारी को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस मामले में जांच से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व कोर्ट को भी अवगत कराया जाय। कोर्ट ने कहा था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नाबालिग के कपड़ों पर सीमेन पाया गया है। उसके सिर पर चोट के निशान थे। इसके बाद भी तीन महीने बाद अभियुक्तों का केवल बयान ही लिया गया, ऐसा क्यों? 

भारी विरोध के बाद गठित की गई थी एसआइटी

16 सितंबर 2019 को 16 वर्षीय छात्रा जवाहर नवोदय स्कूल में फांसी पर लटकती मिली थी। पुलिस ने शुरू में दावा किया था कि आत्महत्या का मामला है। दूसरी ओर उसकी मां ने आरोप लगाया था कि उसे परेशान किया गया, पीटा गया और जब वह मर गई तो उसे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। घटना को लेकर छात्रों ने प्रोटेस्ट किया था। परिवार ने भी कई दिनों तक धरना दिया था। मृतका के पिता ने मुख्यमंत्री से जांच की गुहार लगाई तो एसआइटी जांच गठित की गई। 24 अगस्त 2021 को एसआइटी ने केस डायरी हाईकोर्ट में पेश की थी।

लचर और ढीली जांच प्रक्रिया पर फटकारा था हाई कोर्ट ने

हाई कोर्ट ने कहा था छात्रा के पिता का बयान दर्ज नहीं किया गया और 5.30 सुबह हुई घटना की सूचना परिजनों को नहीं देने से संदेह पैदा होता है। कोर्ट ने कहा कि मृतका के फोन काल की जांच रिपोर्ट भी दी जाय। यह भी पूछा कि क्या नामजद आरोपी को गिरफ्तार नहीं करना अन्य मामलों में भी ऐसा ही होता है। पिछली तिथि पर कोर्ट ने एसआइटी की लचर और ढीली जांच प्रक्रिया पर फटकार लगाई थी और कहा था कि डीएनए जांच का सैंपल लेने में देरी क्यों की गयी और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।


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