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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी की आटो ट्रैक्टर्स लिमिटेड में की गई सेवा को जोड़ने पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आटो ट्रैक्टर्स लिमिटेड प्रतापगढ़ में कर्मचारी की ओर से की गई सेवा को पेंशन आदि के लिए जोड़ने पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने एकल जज के उस आदेश पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगाई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 07:26 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 07:26 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी की आटो ट्रैक्टर्स लिमिटेड में की गई सेवा को जोड़ने पर लगाई रोक
हाईकोर्ट ने आटो ट्रैक्टर्स लिमिटेड में कर्मचारी की ओर से की गई सेवा को जोड़ने पर रोक लगा दी है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आटो ट्रैक्टर्स लिमिटेड प्रतापगढ़ में कर्मचारी की ओर से की गई सेवा को पेंशन आदि के लिए जोड़ने पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने एकल जज के उस आदेश पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगाई है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील पर पारित किया है। सरकार के पंचायती राज विभाग ने एकल जज के आदेश को चुनौती दी थी। अपील पर सुनवाई सात जनवरी 2021 को अगली सुनवाई होगी।

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सरकार की तरफ से बहस कर रहे अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय का तर्क था कि याची आटो ट्रैक्टर्स लिमिटेड की सेवा से वर्ष 1990 में बाहर हो गए थे। सरकार ने 1993 में एक शासनादेश लाकर इन्हें सरकार के विभिन्न विभागों में खपाने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के क्रम में याची समेत तमाम आटो ट्रैक्टर्स लिमिटेड में काम कर चुके कर्मचारियों को विभिन्न सरकारी विभागों में समायोजित किया गया।

नौकरी देते समय शासनादेश में ही शर्त थी कि इन्हें नई सरकारी नौकरी में वेतन संरक्षण आदि का लाभ मिलेगा। लेकिन, पिछली सेवा को जोड़कर उन्हें पेंशन आदि के लिए कोई लाभ अनुमन्य नहीं होगा। सरकारी अधिवक्ता का तर्क था कि समायोजन नियम 1991 जिसके तहत इन्हें सरकारी सेवा में लिया गया था, उसमें भी पिछली सेवा जोड़ने व पेंशन आदि के लिए लाभ देने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में एकल जज का आदेश गलत है।

दूसरी तरफ याची जंग बहादुर सिंह की तरफ से कहा गया था कि आटो ट्रैक्टर लिमिटेड की सेवा जोड़ने के मुद्दे पर सरकार सुप्रीम कोर्ट तक केस हार चुकी है, ऐसे में सरकार की यह विशेष अपील खारिज होने योग्य है।


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