UPPSC की पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ. अंजू कटियार को झटका, हाई कोर्ट ने खारिज की जमानत अर्जी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक प्रकरण को गंभीर अपराध मानते हुए UPPSC की पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ. अंजू कटियार को जमानत देने से इंकार कर दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 पेपर लीक प्रकरण में गिरफ्तार उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (UPPSC) की पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ. अंजू कटियार को बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने पेपर लीक मामले को गंभीर अपराध मानते हुए उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने दिया है।
प्रदेश के शासकीय अधिवक्ता एसके पाल ने कहा कि पूरे प्रकरण की जांच एसटीएफ द्वारा की जा रही है। इस मामले में याची की अन्य अभियुक्तों से बातचीत की कॉल डिटेल के साथ कई साक्ष्य हैं। वाराणसी के सत्र न्यायालय द्वारा जमानत अर्जी पहले ही खारिज हो चुकी है। डॉ. अंजू कटियार को एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। मालूम हो कि अंजू कटियार को वाराणसी की एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। उन्हें वाराणसी की अदालत में पेश किया गया था। इसके बाद जेल भेज दिया गया था।
यह है पेपर लीक मामला
यूपीपीएससी ने एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2018 में 15 विषयों की परीक्षा कराई। आयोग द्वारा कराई गई एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2018 परीक्षा में साढ़े सात लाख के लगभग अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जबकि 29 जुलाई 2018 को प्रदेश के 37 जिलों में कराई गई परीक्षा में साढ़े तीन लाख के लगभग अभ्यर्थी शामिल हुए। आयोग ने सात विषयों (संगीत, उर्दू, गृह विज्ञान, शारीरिक शिक्षा, कृषि, वाणिज्य व संस्कृत) का परिणाम घोषित किया, जिसमें 1347 के लगभग सफल हुए थे, जबकि अंग्रेजी, कला, गणित, विज्ञान, जीव विज्ञान, हिंदी, सामाजिक विज्ञान व कंप्यूटर विषय का परिणाम आना बाकी है। इसी बीच परीक्षा का पेपर लीक होने का खुलासा हुआ।
पुलिस ने इसमें पेपर छापने वाले कोलकाता के प्रेस मालिक कौशिक कुमार को गिरफ्तार किया। कौशिक के बयान के आधार पर आयोग की पूर्व परीक्षा नियंत्रक सहित नौ लोगों के खिलाफ वाराणसी के चोलापुर थाना में 20 मई को नामजद रिपोर्ट दर्ज हुई। पेपर लीक मामले की तह तक जाने के लिए जांच एसटीएफ को सौंपी गई। एसटीएफ ने 28 मई की रात आयोग में दस्तक देकर छानबीन शुरू कर दिया। फिर 30 को डॉ. अंजू कटियार को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।
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