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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एलटी ग्रेड परीक्षा पेपर लीक मामले की एसटीएफ जांच पर रोक लगाने से किया इन्कार

एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 के पेपर लीक मामले में एसटीएफ जांच में खलल डालने वालों को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 09:57 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 09:34 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एलटी ग्रेड परीक्षा पेपर लीक मामले की एसटीएफ जांच पर रोक लगाने से किया इन्कार
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एलटी ग्रेड परीक्षा पेपर लीक मामले की एसटीएफ जांच पर रोक लगाने से किया इन्कार

प्रयागराज, जेएनएन। एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 के पेपर लीक मामले में एसटीएफ जांच में खलल डालने वालों को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले की जांच कर रही एसटीएफ की कार्रवाई पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) को अब एसटीएफ को जांच के लिए दस्तावेज देना होगा। कोर्ट ने एसटीएफ द्वारा दस्तावेजों की मांग को विशेषाधिकार का हनन मानते हुए नोटिस की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर तथा न्यायमूर्ति अनिल कुमार की खंडपीठ ने यूपीपीएससी के सचिव की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। शासकीय अधिवक्ता शिवकुमार पाल, अपर शासकीय अधिवक्ता पतंजलि मिश्र व दीपक मिश्र ने सरकार की ओर से बहस की। कोर्ट ने कहा है कि घपले की जांच जनहित का मामला है, जिस पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

एलटी ग्रेट शिक्षक भर्ती परीक्षा में पेपर लीक मामले की जांच कर रही एसटीएफ ने परीक्षा नियंत्रक डॉ. अंजू कटियार को गिरफ्तार किया था। जांच आगे बढ़ाने के लिए एसटीएफ ने यूपीपीएससी से कुछ दस्तावेजों की मांग करते हुए नोटिस दिया। इस नोटिस की वैधता को यूपीपीएससी ने यह कहते हुए कोर्ट में चुनौती दी कि यह उसके विशेषाधिकारों का उल्लंघन है। एसटीएफ को अधिकारियों का उत्पीड़न करने से रोका जाए, क्योंकि आयोग ने गोपनीय दस्तावेज देने से इन्कार कर दिया है।

परीक्षाओं की शुचिता संदिग्ध, समीक्षा करने का कोर्ट का निर्देश

हाई कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी से स्पष्ट है कि आयोग में सब कुछ सही नहीं है। इसकी समीक्षा होनी चाहिए, जिससे आयोग की विश्वसनीयता कायम रखी जा सके। कोर्ट ने कहा है कि कई भर्ती परीक्षाओं की शुचिता संदिग्ध है, ऐसे में एसटीएफ की कार्रवाई पर हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। इस पर यूपीपीएससी ने कोर्ट में स्वीकार किया कि वह दस्तावेज दिखा सकते हैं, लेकिन गोपनीयता सार्वजनिक न होने पाए। फिलहाल जांच एजेंसी को आयोग के निर्णयों की तह तक जाने का रास्ता मिल गया है।


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