Allahabad High Court ने सीबीआइ के हवाले की पुलिस कस्टडी में मौत की जांच
24 साल के कृष्णा यादव को बक्सा पुलिस 11 फरवरी 2021 को घर से पकड़कर ले गई थी। घरवालों को थाने में कृष्णा से मिलने नहीं दिया गया। आरोप है कि पुलिस ने उसकी पीटकर हत्या कर दी। फिर कहा गया कि वह मोटरसाइकिल की टक्कर से घायल हुआ था
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जौनपुर के बक्सा थाने की पुलिस अभिरक्षा में मौत की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि आइपीएस रैंक के अधिकारी एसपी और सीओ की संलिप्तता के आरोपित होने के चलते पुलिस से निष्पक्ष विवेचना की उम्मीद नहीं की जा सकती। पुलिस अभिरक्षा में क्रूरता से पिटाई से मौत, महत्वपूर्ण साक्ष्यों की अनदेखी, साक्ष्य मिटाने व गढ़ने का प्रयास और प्रभावी लोगों द्वारा विवेचना को हाईजैक करने की कोशिश पर निष्पक्ष पारदर्शी जांच कराना जरूरी है।
हत्या के आरोपित थाना प्रभारी ने दायर की थी याचिका
हाई कोर्ट ने पुलिस को जौनपुर के बक्सा थाने में अभिरक्षा में मौत के साक्ष्य तथा कागजात सीबीआइ को सौंपने का निर्देश दिया है। साथ ही सीबीआइ व राज्य सरकार से अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। अब याचिका की सुनवाई 20 सितंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने एसओजी टीम इंचार्ज व बक्सा थाना प्रभारी अजय कुमार यादव की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर सीबीआइ के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय कुमार यादव ने पक्ष रखा।
घर से उठाकर ले गई पुलिस और पीटकर मार डाला
24 साल के कृष्णा यादव को बक्सा पुलिस 11 फरवरी 2021 को घर से पकड़कर ले गई थी। आरोप है कि रात में घर में तलाशी के दौरान बक्से का ताला तोडकर 60 हजार रुपए व जेवरात भी पुलिस उठा ले गई। घरवालों को थाने में कृष्णा से मिलने नहीं दिया गया। आरोप है कि पुलिस ने उसकी पीटकर हत्या कर दी। फिर 12 फरवरी की सुबह पता चला कि कृष्णा यादव की मौत हो गई है। पुलिस ने झूठी कहानी गढ़ी। पुलिस डायरी में लिखा कि मृतक कराह रहा था। पूछने पर कहा कि मोटरसाइकिल की टक्कर से घायल हो गया और भीड़ ने पीटा। कृष्णा को थाने से स्वास्थ्य केंद्र और फिर वहां से जिला अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। मृतक के भाई ने आरोप लगाया कि याची सहित 10-12 पुलिसवाले उसे घर से ले गए और बुरी तरह से पीटकर हत्या कर दी। हाई कोर्ट ने कहा अपराध की विवेचना निष्पक्ष होनी चाहिए,दागी नहीं। सही विवेचना ही अपराधी को दंड दिला सकती हैं। निष्पक्ष पारदर्शी विवेचना ही सही विचारण का आधार है।