Allahabad High Court: नियुक्ति होने तक प्रशिक्षण वृत्ति देने का डायट प्राचार्य को मिला मौका
हाई कोर्ट के आदेश पर प्राचार्य हाजिर हुए और हलफनामा दाखिल कर बताया कि 2015 के शासनादेश के अनुसार प्रशिक्षण अवधि का ही स्टाइपेंड (वृत्ति) देने की व्यवस्था है। कोर्ट ने कहा कि 2004 के शासनादेश में प्रशिक्षण अवधि से नियमित नियुक्ति होने तक वृत्ति देने की व्यवस्था है।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला प्रशिक्षण शिक्षा संस्थान प्रयागराज के प्राचार्य प्रदीप कुमार पांडेय को आठ नवंबर तक आदेश का पालन करने का अंतिम अवसर दिया है। कहा कि आदेश का पालन नहीं किया तो कोर्ट अवमानना आरोप निर्मित करेगी। हाई कोर्ट ने याचियों को नियमित नियुक्ति होने तक प्रशिक्षण वृत्ति का भुगतान करने का आदेश दिया था। जिसका पालन न करने पर अवमानना याचिका दायर की गई है।
अगली सुनवाई तक सभी को बकाये का भुगतान किया जाय
हाई कोर्ट ने कहा है कि 2004 विशिष्ट बीटीसी के प्रशिक्षुओं का कार्य अवधि सहित चार्ट तैयार कर पेश करें। यह भी बताएं कब नियुक्त किए गए और प्रशिक्षण वृत्ति की कितनी राशि का भुगतान किया गया। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक सभी को बकाये का भुगतान किया जाय। याचिका की अगली सुनवाई आठ नवंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन व अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है।
कोर्ट अनुपालन रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं
हाई कोर्ट के आदेश पर प्राचार्य हाजिर हुए और हलफनामा दाखिल कर बताया कि 2015 के शासनादेश के अनुसार प्रशिक्षण अवधि का ही स्टाइपेंड (वृत्ति) देने की व्यवस्था है। कोर्ट ने कहा कि 2004 के शासनादेश में प्रशिक्षण अवधि से नियमित नियुक्ति होने तक वृत्ति देने की व्यवस्था है। कोई शासनादेश भूत लक्षी प्रभाव नहीं रखता। इसलिए 2004 के शासनादेश के तहत पारित आदेश का पालन किया जाय। कोर्ट अनुपालन रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुई। इस पर प्राचार्य ने बेहतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का समय मांगा।
पूर्व मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्र को राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपीएसआईडीसी के पूर्व मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्र की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। इनपर कानपुर नगर के चकेरी थाने में बिना काम हुए ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान जारी कर सरकार को भारी क्षति पहुंचाने का आरोप है। यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने दिया है।
इससे पहले याची की जमानत अर्जी कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि बिना अनापत्ति लिए काम कराए 95 फीसदी राशि का ठेकेदार को भुगतान किया है। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी भी खारिज हो गई। इसके बाद यह दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की गई थी।
2012 में विभाग के अधिकारी ने एफआईआर दर्ज कराई थी। सड़क लोक निर्माण विभाग ने बनाई और भुगतान ठेकेदार को कर दिया गया। याची अधिवक्ता का कहना था कि याची का नाम 22 जुलाई 2019 की चार्जशीट में नहीं था।सुरेश कुमार महेश्वरी के बयान पर 31अक्टूबर 2020 को दाखिल पूरक चार्जशीट में याची को आरोपित किया गया है और 26 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। अभी तक विभागीय कार्यवाही नहीं शुरू की गई है। याची को 16 अगस्त 2021को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। याची निगम में अधिशासी अभियंता था।अन्य अधिकारियों के साथ भुगतान करने में शामिल था। बाद में मुख्य अभियंता पद पर रहते हुए भुगतान को अंतिम रूप दिया गया।याची का कहना था कि राजेश कुमार चौहान ने अंतिम भुगतान किया है। उसकी भूमिका नहीं है।इस पर कोर्ट ने सशर्त जमानत मंजूर कर ली है।
पूर्व मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्र को राहत
बिना काम किए ठेकेदार को करोड़ों के भुगतान मामले में सशर्त जमानत मंजूर
विधि संवाददाता प्रयागराज 1अक्टूबर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यू पी एस आई डी सी के पूर्व मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्र की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है।इनपर कानपुर नगर के चकेरी थाने में बिना काम हुए ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान जारी कर सरकार को भारी क्षति पहुंचाने का आरोप है।
यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने दिया है।
इससे पहले याची की जमानत अर्जी कोर्ट नेयह कहते हुए खारिज कर दी थी कि बिना अनापत्ति लिए,काम कराये 95फीसदी राशि का ठेकेदार को भुगतान किया है।इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एस एल पी भी खारिज हो गई। इसके बाद यह दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की गई थी।
2012मे विभाग के अधिकारी ने एफ आई आर दर्ज कराई थी।सड़क लोक निर्माण विभाग ने बनाई और भुगतान ठेकेदार को कर दिया गया।याची अधिवक्ता का कहना था कि याची का नाम 22जुलाई 19की चार्जशीट में नहीं था।सुरेश कुमार महेश्वरी के बयान पर 31अक्टूबर 20को दाखिल पूरक चार्जशीट में याची को आरोपित किया गया है।और 26अक्टूबर 20को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।अभी तक विभागीय कार्यवाही नहीं शुरू की गई है।याची को 16अगस्त 21को अनिवार्य सेवानिवृत्ति ले दी गई है।याची निगम में अधिशासी अभियंता था।अन्य अधिकारियों के साथ भुगतान करने में शामिल था।बाद में मुख्य अभियंता पद पर रहते हुए भुगतान को अंतिम रूप दिया गया।याची का कहना था कि राजेश कुमार चौहान ने अंतिम भुगतान किया है।उसकी भूमिका नहीं है।इसपर कोर्ट ने सशर्त जमानत मंजूर कर ली है।