Move to Jagran APP

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डिग्री कॉलेजों में भर्ती निकालने की मांग में दाखिल याचिका को किया खारिज

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के राजकीय सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के खाली चार हजार से अधिक पदों को भरने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 10:31 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 10:31 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डिग्री कॉलेजों में भर्ती निकालने की मांग में दाखिल याचिका को किया खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डिग्री कॉलेजों में भर्ती निकालने की मांग में दाखिल याचिका को किया खारिज

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के राजकीय सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के खाली चार हजार से अधिक पदों को भरने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि योग्यता होने के आधार पर किसी को खाली पदों पर चयनित या नियुक्ति पाने का विधिक अधिकार नहीं मिल जाता है। यह नियोजक पर है कि वह खाली पदों को भरे अथवा नहीं। कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो पद समाप्त या संख्या घटा सकती है, तब तक इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है, जब तक सरकार का फैसला दुर्भावनापूर्ण या विवेकाधिकार का प्रयोग न किया गया हो। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए उक्त मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। 

loksabha election banner

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने सौरभ कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। याचियों की ओर से अधिवक्ता सत्येंद्र त्रिपाठी व उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णजी शुक्ल ने बहस की। याची अधिवक्ता का कहना था कि डिग्री कालेजों में पिछले पांच साल से सहायक प्रोफेसर की भर्ती नहीं निकाली गई, जबकि चार हजार से अधिक पद खाली हैं। याचीगण पीएचडी व राष्ट्रीय दक्षता परीक्षा पास हैं। सहायक प्रोफेसर पद पर चयनित होने की अर्हता रखते हैं। आयोग को हर साल भर्ती निकालने और खाली पदों को भरने का निर्देश दिया जाए।

इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि याचियों को ऐसी मांग करने का विधिक अधिकार नहीं है। सरकार को प्रशासनिक, आर्थिक या नीतियों के चलते पदों को भरने या न भरने का अधिकार है। सरकार चाहे तो पद समाप्त या संख्या घटा सकती है, तब तक इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है, जब तक सरकार का फैसला दुर्भावनापूर्ण या विवेकाधिकार का प्रयोग न किया गया हो। याची ऐसा कानून बताने में विफल रहा है जिसके तहत कोर्ट सरकार या आयोग को खाली पदों को भरने का निर्देश दे सके। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.