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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने छात्र नेता कन्हैया कुमार की नागरिकता छीनने की मांग में दाखिल याचिका की खारिज

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जेएनयू दिल्ली छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की नागरिकता छीनने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है और 25 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 09:09 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 09:14 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने छात्र नेता कन्हैया कुमार की नागरिकता छीनने की मांग में दाखिल याचिका की खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने छात्र नेता कन्हैया कुमार की नागरिकता छीनने की मांग में दाखिल याचिका की खारिज

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) दिल्ली छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की नागरिकता छीनने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने महामारी के दौरान व्यर्थ की याचिका दाखिल कर समय बर्बाद करने की निंदा की है और 25 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है। कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मुकदमा चलने के आधार पर नागरिकता नहीं छीनी जा सकती है। याचिका दिग्भ्रमित होकर दाखिल की गई है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि याचिका जनहित में न होकर बिना संविधान और नागरिकता कानून का अध्ययन किए चीप पब्लिसिटी हासिल करने के लिए दाखिल की गई है। इस तरह याचिका न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग करना है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता व न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने वाराणसी के नागेश्वर मिश्र की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने याची को हर्जाना 30 दिन में महानिबंधक कार्यालय में जमा करने का निर्देश दिया है। कहा है कि राशि एडवोकेट एसोसिएशन के खाते में जमा किया जाय। साथ ही कहा है कि यदि हर्जाना जमा नहीं होता तो जिलाधिकारी वाराणसी वसूली करें। 

याची का कहना था कि कन्हैया कुमार ने अन्य छात्रों के साथ नौ फरवरी 2016 को विश्वविद्यालय परिसर में देश विरोधी नारेबाजी की। जिस पर कायम आपराधिक मुकदमे का विचारण चल रहा है। देश विरोधी नारेबाजी व गतिविधियों के बावजूद केंद्र सरकार कन्हैया कुमार की नागरिकता नहीं छीन रही है। कन्हैया कुमार के ग्रुप के लोग पाकिस्तान के उकसाने पर आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाला करार देते हैं। ऐसे लोग देश की शांति भंग करने में जुटे हैं। कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मुकदमा चलने के आधार पर नागरिकता नहीं छीनी जा सकती है। याचिका दिग्भ्रमित होकर दाखिल की गयी है।


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