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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोनभद्र पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष की रासुका निरुद्धि के खिलाफ याचिका की खारिज

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोनभद्र जिले की नगर पंचायत रेणुकूट के पूर्व अध्यक्ष अनिल सिंह की रासुका निरुद्धि को सही करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि चुने गए नगर पंचायत अध्यक्ष के कार्यालय में घुसकर की गई हत्या से लोक शांति भंग हुई।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 07:09 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 07:10 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोनभद्र पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष की रासुका निरुद्धि के खिलाफ याचिका की खारिज
हाईकोर्ट ने सोनभद्र की नगर पंचायत रेणुकूट के पूर्व अध्यक्ष अनिल सिंह की रासुका निरुद्धि को सही करार दिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोनभद्र जिले की नगर पंचायत रेणुकूट के पूर्व अध्यक्ष अनिल सिंह की रासुका निरुद्धि को सही करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि चुने गए नगर पंचायत अध्यक्ष के कार्यालय में घुसकर की गई हत्या से लोक शांति भंग हुई। बाजार बंद हो गए, चारों तरफ अफरा-तफरी फैली थी। इससे हफ्तों बच्चे स्कूल नहीं गए, शहरी जीवन पंगु हो गया। सही मायने में लोक व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई थी। 

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यह आदेश न्यायमूर्ति  प्रीतिंकर दिवाकर व न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने अनिल सिंह की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची पर अध्यक्ष की हत्या के षड्यंत्र का आरोप है। वह तीन अक्टूबर, 2019 से जेल में बंद है जहां जिलाधिकारी सोनभद्र ने रासुका तामील की।

मामले के अनुसार नगर पंचायत अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह अपने कार्यालय में जन शिकायतें सुन रहे थे, तभी दो मोटर साइकिल सवार आये और नमस्ते करके उनके ऊपर ताबड़तोड़ फायर करके भाग गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। घटना की एफआइआर पिपरी थाने में हत्या व षड्यंत्र के आरोप में दर्ज कराई गई थी। विवेचना के दौरान यह साक्ष्य आया कि जमुना सिंह ने शूटरों को बुलाया था। सात से नौ सितंबर 2019 तक वे होटल में ठहरे थे, फिर 29 सितंबर को दोबारा आए और एक गेस्ट हाउस में ठहरे।

इस दौरान याची के भाई ब्रजेश सिंह लगातार जमुना सिंह के संपर्क में थे। सीसीटीवी फुटेज में ब्रजेश व उनके ड्राइवर को देखा गया। याची का आपराधिक इतिहास है। इस घटना से चुने हुए अध्यक्ष की कार्यालय में हत्या से राज्य व्यवस्था को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस घटना को कानून व्यवस्था का मामला न मानते हुए कहा कि यह लोक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने वाली घटना है।


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