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हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को माघ मेला के दौरान गंगा में 3700 क्यूसेक पानी छोडऩे का निर्देश दिया

याची अधिवक्ताओं ने प्रयागराज की एसटीपी व नालों का सर्वे कर हलफनामा दाखिल किया। उन्होंने कहा कि कई एसटीपी काम नहीं कर रही है। कई जगह सीवर लाइन को जोड़ा नहीं गया है। एसटीपी व नालों का बायोरेमेडियल से शोधित पानी जांच के लिए भेजा गया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 07 Jan 2022 08:39 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jan 2022 08:39 AM (IST)
हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को माघ मेला के दौरान गंगा में 3700 क्यूसेक पानी छोडऩे का निर्देश दिया
कोर्ट ने प्रयागराज में माघ मेला को देखते हुए निर्देश दिया कि गंगा में पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जाए।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की पूर्णपीठ ने गंगा प्रदूषण मामले में प्रदेश सरकार को प्रयागराज में लगने वाले माघ मेला के दौरान नरोरा बांध से 3700 क्यूसेक पानी छोडऩे का निर्देश दिया है। गंगा जल की शुद्धता बरकरार रखने के लिए कोर्ट ने कानपुर व आस-पास के जिलों की टैनरियों का गैरशोधित गंदा पानी गंगा नदी में गिरने से रोक लगाई है। जनहित याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता व न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ कर रही है।

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कोर्ट ने श्रीकाशी विश्‍वनाथ मंदिर ट्रस्‍ट से मांगा स्‍पष्‍टीकरण

वकीलों ने कोर्ट को बताया कि एक तरफ केंद्र सरकार गंगा नदी को साफ करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर बनाने में निकले मलबा को गंगा में डालकर दीवार खड़ी की गई है। इससे ललिता घाट पर जलजमाव से सड़ांध हो रही है। हाई कोर्ट ने इस पर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अधिवक्ता विनीत संकल्प से कहा कि वह इस मामले में अपना स्पष्टीकरण अगली सुनवाई की तारीख 14 फरवरी तक दें।

सर्वे का हलफनामा दाखिल

याची अधिवक्ता वीसी श्रीवास्तव व सुनीता शर्मा ने प्रयागराज की एसटीपी व नालों का सर्वे कर हलफनामा दाखिल किया। उन्होंने कहा कि कई एसटीपी काम नहीं कर रही है। कई जगह सीवर लाइन को जोड़ा नहीं गया है। एसटीपी व नालों का बायोरेमेडियल से शोधित पानी जांच के लिए भेजा गया है। कहा गया कि ट्रीट के बाद भी उसमें पीलापन व चिपचिपाहट रहती है। वहीं, केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने सेना व विभिन्न विभागों द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी।

कोर्ट ने एसटीपी की योजना का ब्‍योरा देने को कहा

हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि एसटीपी का बिजली बिल 2019 के बाद से लगभग 66 लाख रुपये बकाया है। इसका भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है? कोर्ट ने एसटीपी के क्रियाशील होने तथा उसके द्वारा पानी को साफ करने की योजना व विस्तृत ब्योरा देने को कहा है। कोर्ट ने प्रयागराज में माघ मेला को देखते हुए निर्देश दिया है कि गंगा में पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जाए। न्यायमित्र अरुण कुमार गुप्ता ने वाराणसी श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर, नहर निर्माण व प्रयागराज में गंगा कछार में अवैध निर्माण पर पक्ष रखा। प्रदेश सरकार व कारिडोर बनाने में गंगा को प्रदूषित करने का मुद्दा उठाया। अधिवक्ता शैलेश सिंह व अरविंदनाथ अग्रवाल ने प्रयागराज में गंगा में जल बहाव व मोरी व झूंसी में एसटीपी निर्माण की मांग की।


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