इलाहाबाद हाई कोर्ट ने UPPSC से मांगा PCS-2020 की प्रारंभिक परीक्षा का पूरा ब्यौरा, अब 25 जनवरी को सुनवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट में पीसीएस-2020 की प्रारंभिक परीक्षा को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने यूपीपीएससी से परीक्षा का परिणाम तैयार करने का नियम और प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए पदों की संख्या का पूरा ब्योरा तलब कर लिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) से पीसीएस-2020 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम तैयार करने का नियम और प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए पदों की संख्या का पूरा ब्योरा तलब कर लिया है। प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। कहा गया है कि संशोधित परिणाम जारी करने में पारदर्शिता नहीं बरती गई। पहले से चयनित अभ्यर्थियों को संशोधित परिणाम में बिना कोई बताए बाहर कर दिया गया है।
महेश सिंह व अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की एकल पीठ सुनवाई कर रही है। याचीगण का पक्ष अधिवक्ता अतुल कुमार शाही ने रखा। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता एमएन सिंह ने इस प्रकरण में जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट 48 घंटे का समय देने की मांग की, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने पीसीएस प्री 2020 का श्रेणीवार विस्तृत परिणाम और राज्य सरकार की ओर से रिजल्ट जारी होने से पूर्व तक उपलब्ध कराई गई पदवार रिक्तियों की संख्या का विवरण अगली सुनवाई पर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
प्रारंभिक परीक्षा की मेरिट लिस्ट तैयार करने के नियम भी अगली सुनवाई पर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी राजपत्रित अधिकारी के माध्यम से आयोग हलफनामा दाखिल करें। याचीगण का कहना है कि उनका चयन बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद के लिए प्रारंभिक परीक्षा में हुआ था। बाद में आयोग ने इन्हीं पदों का संशोधित परिणाम जारी कर दिया और चयनित सभी अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी।