इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत अर्जी पर पुलिस के रवैये पर जताई नाराजगी
न्यायालय ने इस मामले में कहा है कि समय से सरकारी वकील को जानकारी उपलब्ध न कराने से आरोपित को अनावश्यक रूप से जेल में लंबे समय तक निरुद्ध रहना पड़ता है और जमानत प्रार्थनापत्र का समय से निस्तारण नहीं हो पाता।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्देशों के बावजूद जमानत अर्जी पर पुलिस अधिकारियों द्वारा समय से सरकारी वकील को जानकारी नहीं दिए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है। न्यायालय ने कहा है कि समय से सरकारी वकील को जानकारी उपलब्ध न कराने से आरोपित को अनावश्यक रूप से जेल में लंबे समय तक निरुद्ध रहना पड़ता है और जमानत प्रार्थनापत्र का समय से निस्तारण नहीं हो पाता।
अपर महाधिवक्ता के आश्वासन पर भी स्थिति जस की तस
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट ने औरैया के संजय उर्फ मौसम की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए की। कोर्ट ने याची की जमानत अर्जी स्वीकार कर उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। याची के अधिवक्ता संतोष कुमार शुक्ल का कहना था डकैती का मुकदमा दर्ज किया गया। प्राथमिकी घटना के सात दिन बाद दर्ज कराई गई। याची के पास से फर्जी बरामदगी दिखाई गई है। न्यायालय ने अपर शासकीय अधिवक्ता (एजीए) से कुछ तथ्यों के बारे में जानकारी मांगी तो वह कुछ भी बता पाने में असमर्थ थे। संबंधित जिले के पुलिस अधिकारियों की तरफ से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई थी। न्यायालय ने कहा कि यह लगातार देखने में आ रहा है कि बार बार निर्देश के बावजूद पुलिस अधिकारी सरकारी वकील को जमानत प्रार्थनापत्रों से संबंधित जानकारियां उपलब्ध नहीं करा पाते हैं इसलिए सरकारी वकील सरकार का पक्ष नहीं रख पाते। इससे पूर्व अदालत ने अजीत चौधरी केस में मुकदमों में समय से जानकारी उपलब्ध कराने को लेकर व्यापक निर्देश दिए थे। अपर महाधिवक्ता विनोद कांत ने न्यायालय को आश्वासन दिया था कि सरकार इस मामले में प्रतिबद्ध है और शीघ्र ही ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि जमानत प्रार्थनापत्रों पर समय से जवाब उपलब्ध करा दिया जाए।