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माघ मेला में सैलानियों के लिए नया यमुना पुल बन जाता है सैरगाह, यहां से दिखता है अद्भुत नजारा

वैसे तो प्रयागराज का नया यमुना पुल लोगों के लिए तफरीह का स्थान बना रहता है लेकिन माघ मेला में सैलानियों के लिए यह सैरगाह ज बन जाता है। यहां से संगम तट का नजारा बहुत खूबसूरत दिखता है। रात्रि में मेले की आकर्षक लाइट लोगों को लुभाती है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 03:30 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 03:30 PM (IST)
माघ मेला में सैलानियों के लिए नया यमुना पुल बन जाता है सैरगाह, यहां से दिखता है अद्भुत नजारा
2004 में बना यह पुल अपने निर्माण के बाद से ही शहरवासियों को अपनी तरफ खींचता रहा है

प्रयागराज, जेएनएन। वैसे तो प्रयागराज का नया यमुना पुल लोगों के लिए तफरीह का स्थान बना रहता है लेकिन माघ मेला में सैलानियों के लिए यह सैरगाह ज बन जाता है। यहां से संगम तट का नजारा बहुत खूबसूरत दिखता है। रात्रि में मेले की आकर्षक लाइट लोगों को लुभाती है। 2004 में बना यह पुल अपने निर्माण के बाद से ही शहरवासियों को अपनी तरफ खींचता रहा है। यह पुल भारत की बेहतरीन टेक्नोलॉजी से बना है। पूरा पुल केबल के सहारे टिका हुआ है। इसकी बनावट इतनी अच्छी है कि लोग बरबस यहां खींचे चले आते हैं। पुल बहुत ही खूबसूरत एवं मजबूत है। शाम होते ही पुल पर लोगों की भीड़ एकत्र हो जाती है। यहां सेल्फी लेने वालों का तांता लगा रहता है। पुल की लाइट ऑन होते ही इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है। प्रात:काल संगम से उगते हुए सूर्य एवं शाम को यमुना जी की तरफ ढलते सूर्य का नजारा अद्भुत दिखता है।
पुल पर रोजाना सैर करने वाले बुजुर्ग प्रभा शंकर पांडेय कहते हैं कि यहां से संगम तक दर्शन करना सुखद लगता है। वे शाम को यहां आते हैं। मौका मिलने पर सुबह ही आ जाते हैं। यह पुल शहर के शोर से अलग दिखता है। हालांकि वाहनों की आवाजाही से व्यवधान प्रदूषण रहता है फिर भी पुल पर आने से शांति मिलती है। पुल को देखने से आधुनिक तकनीकि के उत्कृष्ट वास्तुकला का अहसास मिलता है। प्रभात तथा संध्या काल में इस सेतु का दृश्य सम्मोहित कर देता है।

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शहर को नैनी से जोड़ता है यह पुल
नया यमुना पुल शहर से नैनी को जोड़ता है। इस पुल से मीरजापुर और चित्रकूट और बांदा का राजमार्ग जुड़ा है। एनएचआइ के नक्शे में यह प्रयागराज और राष्ट्रीय राजमार्ग-27 के बीच रोड लिंक के रूप में भी कार्य करता है। एनएचआइ से जुड़े रहे किशन सिंह बताते हैं कि उत्कृष्ट गुणवत्ता और आधुनिक तकनीक से यह  पुल बना है। इसमें पर्यावरणीय विशेषताओं का भी ध्यान रखा गया है। पुल पर क्रंक्रीट से बने दो विशाल स्तंभ हैं। यह स्टील केबलों से बंधे पुल की छत को सहारा देता है। पुल दो भागों में बंटा है। यह 1510 मीटर लंबा और 365 मीटर ऊंचा है। लोगों की मांग पर वर्ष 2000 में पुल का निर्माण शुरू हुआ। पुल निर्माण में 40 महीने का समय लगा था। पुल 2004 में बन कर तैयार हुआ था। इस पर करीब 450 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।


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