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आखिर अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद का गठन हो ही गया, स्वामी ब्रह्माश्रम बने अध्यक्ष Prayagraj News

अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति से अलग नया संगठन बन गया है। इस आखिर अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के अध्‍यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम बनाए गए।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 04:01 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 04:01 PM (IST)
आखिर अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद का गठन हो ही गया, स्वामी ब्रह्माश्रम बने अध्यक्ष Prayagraj News
आखिर अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद का गठन हो ही गया, स्वामी ब्रह्माश्रम बने अध्यक्ष Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति भंग होने के बाद आखिरकार एक नया संगठन बन ही गया। समिति से अलग हुए संन्यासियों ने माघ मेला क्षेत्र में स्वामी महेशाश्रम के शिविर में बैठक की। इसमें अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद का नवगठन करते हुए इसके पदाधिकारी नामित किए गए। स्वामी महेशाश्रम, शिवशरण आश्रम और स्वामी लालेश्वर आश्रम को संरक्षक मंडल में रखा गया। वहीं स्वामी ब्रह्माश्रम को अध्यक्ष बनाया गया है।

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माघ मेला में आधी रात तक दोनों गुटों में हुआ मंथन

माघ मेला क्षेत्र स्थित दंडी स्वामी नगर में शुक्रवार को आधी रात तक दोनों गुटों में मंथन चला। जबकि एक गुट ने संन्यासी सदस्यों का समर्थन पाने के लिए काफी मशक्कत भी की। नवगठित अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद में उपाध्यक्ष पद पर स्वामी देवेंद्रानंद, महामंत्री स्वामी शंकराश्रम, उप मंत्री स्वामी नर्वदेश्वर आश्रम, कोषाध्यक्ष स्वामी रवींद्राश्रम, संगठन मंत्री ज्ञानेश्वर आश्रम, ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी को प्रवक्ता बनाया गया। कार्यकारिणी सदस्य भी नामित किए गए। अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम ने कहा कि परिषद का संचालन आज से ही शुरू कर दिया गया है। सभी धार्मिक व अन्य सामाजिक काम बाइलाज के अनुसार होंगे।

मांगें तो देंगे सहयोग : स्वामी विमलदेव

अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति के अध्यक्ष स्वामी विमलदेव आश्रम ने कहा कि हमारी कोशिश है कि दंडी संन्यासियों में कोई नया संगठन न बने। दंडी स्वामी नगर में विवाद उत्पन्न न किया जाए। किसी को अध्यक्ष बनने का शौक है तो वह खुशी से बने। अध्यक्षी करनी ही हो तो हमसे सहयोग भी मांगें। हालांकि सहयोग तभी देंगेे जब वह मांगेंगे। हमारी दिक्कत है कि हम किसी के विचार को नहीं बदल सकते। हमने अपने समर्थित संन्यासियों के साथ कोई बैठक नहीं की। वहीं एक बड़ा सवाल है कि जिन लोगों ने इस्तीफा दिया, वह किसे सौंपा।


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