परशुराम पर सियासत को लेकर अखाड़ा परिषद नाराज, अवतारी महापुरुषों को जाति में बांटना अनुचित
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि और शिला पूजन के बाद भगवान परशुराम की विशाल प्रतिमा लगवाने की घोषणाओं से सियासत गर्मा गई है।
प्रयागराज, जेएनएन। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि और शिला पूजन के बाद भगवान परशुराम की विशाल प्रतिमा लगवाने की घोषणाओं से सियासत गर्मा गई है। संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस पर नाराजगी जतायी है। दल विशेष का नाम लिए बिना अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने देवी-देवताओं, ऋषियों-मुनियों और अवतारी महापुरुषों को जातियों में बांटने को अनुचित करार दिया है। उन्होंने कहा है कि यह सनातन धर्म व हिंदू समाज को कमजोर करने की साजिश है। संत इसे सबके सामने लाएंगे। भगवान राम और परशुराम, विष्णु के अवतार थे। उन्हें जाति में बांटकर देखना कतई उचित नहीं है, क्योंकि वह सबके आराध्य हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने सोमवार को यहां जारी वीडियो संदेश में कहा कि पांच सौ वर्षों के बाद सनातन धर्म में आस्था रखने वालों की सबसे बड़ी जीत श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने से हुई है। अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का भव्य मंदिर बनने जा रहा है। इससे विश्वभर के सनातन धर्मावलंबी गौरवान्वित हैं। लेकिन, ऐसा लग रहा है कि कुछ लोगों को यह उपलब्धि रास नहीं आ रही है। इसलिए वे हिंदू देवी-देवताओं और ऋषियों मुनियों को जाति में बांटकर सियासी रोटियां सेंकने की कोशिश कर रहे हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने लोगों से अपील की कि वह समाज को तोड़ने वाली ताकतों के बहकावे में कतई न आएं। देश और समाज को बांटने वाली ताकतों का एकजुट होकर विरोध करें, ताकि सनातन परंपरा की एकता और अखंडता बनी रहे। महंत नरेंद्र गिरि ने यह भी कहा कि अखाड़ा परिषद संतों को एकजुट कर सनातन समाज को बांटने वाली ताकतों का पुरजोर विरोध करेगा। ऐसी विघटनकारी ताकतों के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए अभियान भी चलाया जाएगा।