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जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि के कड़े तेवर से अखाड़ा परिषद बैकफुट पर, अब किन्नरों पर एतराज नहीं

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने हरि गिरि से बात करके स्थिति स्पष्ट की। दूसरे पदाधिकारियों ने भी हरि गिरि से संपर्क साधा। सबका कहना है जूना अखाड़ा के साथ किन्नर अखाड़ा बिना किसी रोक-टोक के रह सकता है। विश्व अखाड़ा परिषद व परी अखाड़ा पर पाबंदी जारी रहेगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 12:26 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 12:47 PM (IST)
जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि के कड़े तेवर से अखाड़ा परिषद बैकफुट पर, अब किन्नरों पर एतराज नहीं
किन्‍नर अखाड़ा को मान्‍यता देने के मामले में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद मान गया है।

प्रयागराज, जेएनएन। किन्नर अखाड़ा को विवाद मेें घसीटने पर जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि ने कड़े तेवर दिखाए। इस पर संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बैकफुट पर आ गई है। हरिद्वार महाकुंभ से पहले जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि के किन्नर संन्यासियों के साथ खुलकर खड़े होने व उनके अखाड़ा परिषद के महामंत्री पद से इस्तीफा देने का एलान किया था। इसके बाद मान-मनौव्वल का दौर शुरू हो गया। 

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अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने हरि गिरि से बात करके स्थिति स्पष्ट की। दूसरे पदाधिकारियों ने भी हरि गिरि से संपर्क साधा। सबका कहना है कि जूना अखाड़ा के साथ किन्नर अखाड़ा बिना किसी रोक-टोक के रह सकता है। हालांकि विश्व अखाड़ा परिषद व परी अखाड़ा पर पाबंदी जारी रहेगी।

अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष ने कहा था कि सिर्फ 13 अखाड़ों को ही मान्‍यता है

किन्नर अखाड़ा पर विवाद का सिलसिला एक जनवरी को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक के बाद शुरू हुआ। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा था कि हरिद्वार महाकुंभ में सिर्फ 13 अखाड़ों को मान्यता है। किन्नर अखाड़ा, परी अखाड़ा व विश्व अखाड़ा परिषद को अलग से मान्यता नहीं मिलेगी। उन्हें शिविर लगाने के लिए जमीन व सुविधा न मुहैया कराई जाए। अखाड़ा के नाम से किसी संस्था का पंजीकरण न हो, उसका प्रस्ताव पारित किया गया। 

किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी

फिर दो जनवरी को किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए महंत नरेंद्र गिरि के बयान को किन्नरों की उपेक्षा करार दिया। देश के सबसे बड़े अखाड़ा जूना के मुख्य संरक्षक व अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने किन्नर अखाड़ा को संरक्षण देने का संकल्प दोहरा दिया। 

हमने 14वें अखाड़ा के रूप में मान्यता देने का विरोध किया है : महंत नरेंद्र गिरि

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि उनकी महंत हरि गिरि से बात हुई है। किन्नर अखाड़ा से जुड़े संन्यासी जूना के साथ शाही स्नान सहित हर धार्मिक गतिविधियों का हिस्सा बन सकते हैं। हमने 14वें अखाड़ा के रूप में मान्यता देने का विरोध किया है। इससे सभी सहमत हैं। वहीं, महंत हरि गिरि का कहना है कि अखाड़ा परिषद एक है, और रहेगा। किन्नर संन्यासी जूना के साथ पूरे सम्मान से रहेंगे।  

बोले, अखाड़ा परिषद के उपाध्‍यक्ष महंत धर्मदास

अखाड़ा परिषद के उपाध्‍यक्ष महंत धर्मदास ने कहा कि अखाड़ा परिषद की बैठक में मुख्य मुद्दा विश्व अखाड़ा परिषद, परी अखाड़ा था। अखाड़ा के नाम पर पंजीकरण का विरोध किया गया था। किन्नर अखाड़ा तो जूना के साथ है उसे लेकर कोई दिक्कत नहीं है।

अखाड़ा परिषद के संयुक्‍त सचिव व्यास मुनि उदासीन ने यह कहा

अखाड़ा परिषद के संयुक्‍त सचिव व्यास मुनि उदासीन बोले कि किन्नर अखाड़ा जूना का हिस्सा है। उसे लेकर कोई विवाद नहीं है। भविष्य में अखाड़ा के नाम पर संस्था न बने उसको लेकर प्रस्ताव पास हुआ है। हरि गिरि पद में बने रहेंगे।  

जानें, अखाड़ा परिषद के कानून मंत्री ने क्‍या कहा

अखाड़ा परिषद के कानून मंत्री श्रीमहंत राजेंद्र दास ने कहा कि अखाड़ा परिषद में कोई विवाद नहीं है। न ही किन्नर अखाड़ा अब कोई मुद्दा है, क्योंकि वो जूना से मिल चुका है। हमारा विरोध नए अखाड़ों को लेकर है।  

जूना अखाड़ा के अध्‍यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि बोले

जूना अखाड़ा के अध्‍यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि बोले कि महंत नरेंद्र गिरि की बात को गलत रूप में पेश किया गया है। उन्होंने किन्नर अखाड़ा को लेकर कोई बयान नहीं दिया। इस मामले को तूल देना अनुचित है।  

2016 में बना किन्नर अखाड़ा

किन्नर अखाड़ा का गठन 2016 में हुआ। अखाड़ा परिषद के विरोध के बावजूद किन्नर अखाड़ा उज्जैन कुंभ का हिस्सा बना था। फिर प्रयागराज में लगे 2019 के कुंभ में अखाड़ा परिषद के विरोध के बीच किन्नर अखाड़ा ने सनातन परंपरा के अनुरूप भाग लिया। जूना अखाड़ा ने 13 जनवरी 2019 को अग्नि व आह्वान अखाड़ा की तरह किन्नर अखाड़ा को अपने साथ लेकर चलने का निर्णय लिया। इसके बाद किन्नर अखाड़ा ने जूना के साथ मिलकर पूरे वैभव के साथ शाही स्नान किया।


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