छात्रों की गिरफ्तारी के विरोध में सड़क पर उतरी आइसा और इनौस Prayagraj News
वक्ताओं ने कहा कि आज भी रेलवे 10 रुपये में 40 किलोमीटर तक यात्रा कराती है। इस पर अब पूंजीपतियों की नजर लग गई है। रेलवे को निजी हाथों में देने का मतलब देश को बेचने जैसा है।
प्रयागराज, जेएनएन। बिहार के सासाराम में सैकड़ों छात्र रेलवे के निजीकरण के विरोध में आंदोलनरत हैं। वहां के प्रशासन ने 15 छात्रों को जेल भेज दिया। इसके विरोध में प्रयागराज में आइसा (आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) और इनौस (इंकलाबी नौजवान सभा) के सदस्य आक्रोशित हैं। विरोध स्वरूप उन्होंने सिविल लाइंस में सुभाष चौराहे पर प्रदर्शन किया।
जेल में बंद आंदोलनकारियों को रिहा करने की मांग की
प्रदर्शन के दौरान हुई सभा में आइसा के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान ने कहा कि सुचारु आवागमन के लिए रेल किसी वरदान से कम नहीं है। आज भी रेलवे 10 रुपये में 40 किलोमीटर तक यात्रा कराती है। इस पर अब पूंजीपतियों की नजर लग गई है। आइसा के सचिव सोनू यादव ने कहा रेलवे देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने के लिए जाना जाता है। रेलवे को निजी हाथों में देने का मतलब देश को बेचने जैसा है। इनौस के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य ने कहा कि मोदी सरकार में रोजगार की हालत और भी खराब हो गई है। इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल ने जेल में बंद आंदोलनकारियों को रिहा करने की मांग की। प्रदर्शन करने में अभय, प्रदीप ओबामा, शशांक, शक्ति, विवेक, सौरभ त्रिपाठी, यश सिंह, विवेक सुल्तानवी, माता प्रसाद पाल आदि शामिल रहे।
इविवि में अवैध नियुक्ति का आरोप, पीएम से शिकायत
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ साइंस एंड सोसायटी में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर चयनित डॉ. रोहित कुमार की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए गए हैं। इस संबंध में अमित रंजन पांडेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। अमित ने बताया कि शिकायत मंत्रालय के अलावा यूजीसी से की जा चुकी है। आरोप है कि यूजीसी की ओर से 19 जुलाई 2018 को इविवि में शिक्षक भर्ती पर रोक लगा दी गई थी। यूजीसी ने सात मार्च 2019 को इविवि के 13 प्वाइंट रोस्टर को अमान्य करके 200 प्वाइंट रोस्टर पर चयन प्रक्रिया कराने का पत्र जारी किया। इविवि प्रशासन ने नोटिस आने के बावजूद सेंटर ऑफ साइंस एंड सोसायटी में आठ मार्च 2019 को एसोसिएट प्रोफेसर पद पर डॉ. रोहित का चयन कर लिया।