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कृषि वैज्ञानिकों को किसानों को सलाह, माही कीट राई व सरसों की फसल के लिए घातक, नियंत्रण जरूरी Prayagraj News

ग्रामीण कृषि मौसम सेवा भारत सरकार के पूर्वानुमान के तहत शुआटस के कृषि वैज्ञानिकों ने कृषकों को सलाह दी। उन्‍होंने कहा कि माहू कीट से के नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टयर फास्फेमिडान 85 प्रतिशत के 250 मिलीलीटर मात्रा को 800 लीटर पानी में घोलकर फसलों में छिड़काव करें।

By Brijesh Kumar SrivastavaEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 10:45 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 10:45 AM (IST)
कृषि वैज्ञानिकों को किसानों को सलाह, माही कीट राई व सरसों की फसल के लिए घातक, नियंत्रण जरूरी Prayagraj News
शुआटस के कृषि वैज्ञानिकों ने कीटों से बचाव व अच्‍छी उपज के लिए किसानों को टिप्‍स दिया।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में नैनी स्थित सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में किसानों के लिए कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। यहां के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को खेती संबंधी सलाह दी है। राई-सरसों के माहू कीट पत्ती, तना व फली सहित सम्पूर्ण पौधे से रस चूसता है, जिससे फसल कमजोर हो जाता है और आगे चलकर उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। फसल सूखने के कगार पर पहुंच जाते हैं। माहू कीट राई और सरसों के लिए बहुत ही घातक होते हैं। इन से फसलों को बचाना अति आवश्यक है।

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ग्रामीण कृषि मौसम सेवा भारत सरकार के पूर्वानुमान के तहत शुआटस के वैज्ञानिकों ने कृषकों को सलाह दी। उन्‍होंने कहा कि माहू कीट से के नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टयर फास्फेमिडान 85 प्रतिशत के 250 मिलीलीटर मात्रा को 800 लीटर पानी में घोलकर फसलों में छिड़काव करें। बीमारियों या माहू कीट का प्रकोप एक साथ होने पर किसी एक फफूंद नाशक व एक कीटनाशक को मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है।

कृषि वैज्ञानिको ने कहा कि गन्ना को विभिन्न प्रकार के तनाछेदक कीटों से बचाने के लिए प्रति हेक्टयर 30 किग्रा फ्यूराडान का प्रयोग करें। गन्ने के जिन खेतों में पेड़ी रखना हो तो उनमें या तो गन्ने की सूखी पत्तियों की 5 सेंमी मोटी तब बिछा दें अथवा फसल काट लेने के पश्चात खरपतवार नियन्त्रण के लिए सिंचाई करके ओट आने पर गुड़ाई कर दें।

किसानों को सलाह दी कि आलू, टमाटर तथा मिर्च में पिछेती झुलसा तथा माहू से बचाव हेतु मैंकोजेब 0.2 प्रतिशत के घोल का छिड़काव करें। मटर में बुकनी रोग के रोकथाम के लिए घुलनशील गंधक 2.0-2.5 किग्रा 600-700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टयर की दर से छिड़काव कर दें। पहले रोपे गये टमाटर में निराई-गुड़ाई व स्टेकिंग (सहारा देना) का कार्य करें। वानिकी पापलर की रोपाई 5 गुणे 4 मीटर पर करें। ग्लैडियोलस की मुरझाई हुई टहनियों को निकाल दें तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। पशुशाला में बिछाली को सूखा रखें। पशुओं के भोजन में दाने की मात्रा बढ़ा दें। ब्रायलर के लिए एक दिन के चूजे पालें।


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