विधायक के हस्तक्षेप के बाद पीडि़ता को न्याय की उम्मीद Prayagraj News
वाह रे चकबंदी विभाग के कर्मचारी जिन्होंने एक महिला का घर व मंदिर दूसरे को नाप दिया। मामले में विधायक ने हस्तक्षेप किया तो पीडि़त को दोबारा भूमि दिलाने की कार्रवाई शुरू हुई।
प्रयागराज, जेएनएन। कौशांबी जनपद में मंझनपुर तहसील क्षेत्र के हकीमपुर गांव में चकबंदी के दौरान विभाग ने एक बढ़ा खेल कर दिया। एक गरीब परिवार के घर व मंदिर को दूसरे को नाप दिया। एक सप्ताह पहले कब्जे की प्रक्रिया शुरू हुई तो परिवार के लोगों को इसकी जानकारी हो सकी। अधिकारियों के साथ ही मामला मंझनपुर विधायक के संज्ञान में आया। उनके हस्तक्षेप के बाद अब अधिकारी दोबारा गरीब परिवार के नाम भूमि दर्ज करने की कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कह रहे हैं।
क्या है मामला
हकीमपुर गांव में दो सालों से चकबंदी चल रही है। इन दिनों हिस्सा फांट करते हुए लोगों को कब्जे दिया जा रहे हैं। जैसे ही यह प्रक्रिया शुरू हुई गांव में हड़कंप मच गया। गांव के केशन व जिनके के नाम पर मात्र 15 बिश्वा जमीन है। जिस पर वह एक हिस्से में कच्चा घर बनाकर रहती है और दूसरे हिस्से में दशकों से मंदिर बना है। कुछ हिस्सा खाली है, जिस पर वह मवेशी बंधते हैं। भूमि अचक की श्रेणी में है, जो चकबंदी विभाग के दायरे से बाहर है। इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों ने इस भूमि पर दूसरे को कब्जा दे दिया।
मंझनपुर के विधायक ने मामले को संज्ञान में लिया
गांव के ही एक व्यक्ति ने इस पर कब्जा शुरू किया तो वह परेशान हो गए। आनन-फानन केशन व उनका पुत्र रामू ङ्क्षसह अधिकारियों के चक्कर लगाने लगे, लेकिन उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं था। इस पर उन्होंने मंझनपुर विधायक लाल बहादुर से संपर्क किया। उनको अपनी बात बताई। विधायक के हस्तक्षेप के बाद अधिकारियों ने अब दोबारा केशन के नाम पर भूमि को दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दिया है।
क्या कहते हैं विधायक मंझनपुर
विधायक मंझनपुर लाल बहादुर कहते हैं कि केसन का मामला मेरे संज्ञान में आया है। जिसको अधिकारियों से कहकर निस्तारित करा दिया। जिले में अन्य किसानों के साथ चकबंदी विभाग इस प्रकार की हरकत न करें। इसके लिए इस मामले की जांच कराते हुए दोषी के खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी।
बोले विभागीय अधिकारी
सहायक बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी, चौधरी सुरेंद्र प्रसाद ने कहा कि कभी-कभी ऐसा होता है कि लोगों का कब्जा किसी दूसरे नंबर पर होता है और नाम दूसरे नंबर पर दर्ज होता है। ऐसे में इस प्रकार की समस्या आ सकती है। इस प्रकरण के दस्तावेज देखने के बाद ही पूरी जानकारी हो पाएगी।
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