Flood Effect: प्रयागराज के छोटा बघाड़ा और ढरहरिया की गलियों में जलकुंभी और पालीथिन का ढेर
छोटा बघाड़ा और ढरहरिया के करीब 90 फीसद मकान बाढ़ में डूबे थे। इन क्षेत्रों में पानी निकल गया लेकिन गंदगी की सफाई के लिए जिस तेजी की जरूरत है उस हिसाब से नगर निगम काम नहीं करा पा रहा है। गलियों में सिल्ट की मोटी परतें बिछी हैं।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से पानी निकल गया है। इससे लोग अपने घरों को लौट गए हैं। लेकिन, कई इलाकों में स्थिति बेहद खराब होने से उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है। शहर उत्तरी विधान सभा क्षेत्र के छोटा बघाड़ा, ढरहरिया में सफाई व्यवस्था ठीक न होने से सड़कों एवं गलियों में जलकुंभी, पालीथिन और गंदगी के ढेर लगे हैं। खाली प्लाटों में पानी भी भरा है। कीटनाशक दवा का छिड़काव और फागिंग न होने से लोगों का जीना मुहाल है। ऐसे में साफ है कि गंगा और यमुना में बाढ़ खत्म होने के बाद भी जनता को राहत अभी नहीं मिल पा रही है। लोग बदबू और गंदगी के बीच दिन गुजार रहे हैं। अभी इस समस्या को दूर होने में कई और दिन लग सकते हैं।
गलियों में कचरे की मोटी परत है बिछी
छोटा बघाड़ा और ढरहरिया क्षेत्रों के करीब 90 फीसद मकान बाढ़ में डूब गए थे। इन क्षेत्रों में पानी निकल गया है लेकिन, गंदगी की सफाई के लिए जिस तेजी की जरूरत है, उस हिसाब से नगर निगम काम नहीं करा पा रहा है। छोटा बघाड़ा के रामचरन और शिवकली देवी का कहना था कि गलियों में सिल्ट की मोटी परतें बिछी हैं। उसकी सफाई न होने से आने-जाने में परेशानी हो रही है। जलकुंभी और कूड़े के बदबू से रहना दूभर है। सफाई व्यवस्था से जुड़े स्टाफ का भी मानना है कि सिल्ट की सफाई के लिए रोबोट मशीन लगाई जानी चाहिए। मैनुअली मिट्टी की सफाई होना मुश्किल है।
ब्लीचिंग पाउडर डालकर हो रही सफाई
छोटा बघाड़ा के पार्षद नितिन यादव का कहना है कि नगर निगम के स्टोर में ब्लीचिंग पाउडर भी नहीं थी। सोमवार को ब्लीचिंग पाउडर मंगाई गई। हालांकि, एक स्टाफ का दावा है कि ब्लीचिंग पाउडर की कमी स्टोर में नहीं थी। जोनल अधिकारी रवींद्र कुमार सिंह का कहना है कि सफाईकर्मी जी-जान से जुटे हैं। सफाई, कीटनाशक दवाओं का छिड़काव और फागिंग सभी जगह कराई जा रही है।