हॉस्टल से हुए बेदखल, शहर में नहीं मिल रहा ठिकाना
इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने हॉस्टल वॉश आउट अभियान से सभी हाॅस्टलों के अवैध कमरे खाली कराए थे। अब भीषण गर्मी में छात्र परेशान हैं लेकिन उन्हें कमरा नहीं मिल रहा।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद विश्वविद्यालय मिशन हॉस्टल वॉश आउट ने छात्रों को सड़क पर ला दिया है। इविवि प्रशासन की कार्रवाई के बाद विद्यार्थियों को यह नहीं सूझ रहा कि वह सिर कहां छिपाएं। झुलसा देने वाली धूप और उमस भरी गर्मी के बीच हॉस्टल से बेदखल किए गए छात्र दर-दर भटक रहे हैं।
इविवि प्रशासन ने हॉस्टल वॉश आउट अभियान चलाया था
दरअसल, इविवि प्रशासन की ओर से 23 मई को पत्र जारी किया गया था। इसमें सभी हॉस्टलों को खाली करने के लिए 24 और 25 मई का वक्त दिया गया था। इस पर छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया था। छात्रों ने तर्क दिया था कि उन्हें और वक्त दिया जाना चाहिए, जिससे रहने का ठिकाना खोज सकें। दो दिन की मियाद पूरा होने पर 26 मई को इविवि प्रशासन ने पुलिस बल की मौजूदगी में हॉस्टलों को खाली करा दिया। इस दौरान इविवि के 17 हॉस्टलों से 2550 कमरे खाली कराए गए थे। इन कमरों में करीब 4500 छात्र-छात्राएं रह रहे थे। अब हॉस्टल से बेदखल होने पर ये छात्र-छात्राएं तपती दुपहरी में कमरे की तलाश कर रहे हैं। कुछ तो डेलीगेसी में रहने वाले परिचितों के साथ मजबूरी में रह रहे हैं।
इन हॉस्टलों से खाली हुए थे कमरे
26 मई को ताराचंद, सर सुंदरलाल, पीसी बनर्जी, जीएन झा, डायमंड जुबली, एसआरके, ङ्क्षहदू हॉस्टल, शताब्दी ब्वायज, मुस्लिम हॉस्टल, केपीयूसी, हॉलैंड हॉल, एसएनएच, पीडी महिला, महादेवी वर्मा महिला, कल्पना चावला हॉस्टल, हॉल ऑफ रेजीडेंस और शताब्दी महिला हॉस्टल से इविवि प्रशासन ने 2550 कमरे खाली कराए थे। इसके अलावा 25 मई को विभिन्न हॉस्टलों से 643 ने स्वेच्छा से कमरे खाली कर दिए थे।
शहर के सभी लॉज भी लगभग फुल
हालत यह है कि शहर के सभी लॉज भी लगभग फुल हो चुके हैं। आलम यह है कि एक-एक कमरे में चार से पांच छात्र रहने को मजबूर हैं। इसके बावजूद कई ऐसे छात्र हैं, जिन्हें अब तक कोई ठौर-ठिकाना नहीं मिल सका है। मजबूरी में छात्र शहर के बाहरी इलाकों में ज्यादा किराया देकर रहने को मजबूर हो रहे हैं। छात्र इविवि प्रशासन के साथ मौसम को भी कोसते दिख रहे हैं।
मकान मालिकों की चांदी
हॉस्टल वॉशआउट के बाद शहरी क्षेत्र में कमरा न मिलने पर छात्र ग्रामीण अंचल की ओर रुख कर रहे हैं। वह शांतिपुरम के आगे गोहरी और गद्दोपुर के अलावा झूंसी और कटका में कमरे तलाश रहे हैं। ऐसे में वहां भी मकान मालिकों ने कमरों का किराया बढ़ा दिया है। ऐसे में पढ़ाई करने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और मकान मालिकों की चांदी हो रही है।
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