Allahabad University में 23 साल के बाद 100 कर्मचारियों काे मिली पदोन्नति, कर्मचारी भर्ती का रास्ता भी साफ
इस मुद्दे को पिछले 23 वर्षों से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। इससे गैर शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों का पिछले दो दशक से प्रमोशन नहीं हुआ था। कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव के निर्देशन में इस मुद्दे पर काम शुरू हुआ।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के 100 कर्मचारियों को कोरोना वायरस के संक्रमण काल में पदोन्नति मिली है। वर्ष 1998 में नियुक्ति के बाद पहली बार गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को यह तोहफा मिला है। इसी के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कर्मचारी भर्ती का रास्ता भी साफ हो गया।
कुलपति के एजेंडे में गैर शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों के प्रमोशन का मुद्दा था
कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में लगातार ऑनलाइन बैठक में अहम फैसले लिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के लंबित पड़े पदोन्नति के आदेश निर्गत कर दिए गए हैं। विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर जया कपूर ने बताया कि जब कुलपति ने नवंबर में कार्यभार ग्रहण किया था तो उनके एजेंडे में सबसे ऊपर जो बातें थीं, उसमें गैर शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों के प्रमोशन और नियुक्तियों का मुद्दा प्रमुख बिंदु था।
23 वर्षों से पदोन्नति का मामला ठंडे बस्ते में था
इस मुद्दे को पिछले 23 वर्षों से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। इस वजह से गैर शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों का पिछले दो दशक से ज्यादा समय से कोई भी प्रमोशन नहीं हुआ था। कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव के निर्देशन में इस मुद्दे पर काम शुरू हुआ। उन्होंने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जिसमें कई सीनियर टीचर एवं अधिकारी शामिल थे।
इन कर्मचारियों के खिले चेहरे
कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पहली बार तकरीबन 100 गैर शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों के प्रमोशन का आदेश कर दिया गया है। इसमें 47 जूनियर ऑफिस असिस्टेंट/ऑफिस असिस्टेंट को प्रोन्नत किया गया है। इसके अलावा 49 जूनियर ऑफिस असिस्टेंट को भी यह तोहफा मिला है। जिन कर्मचारियों के प्रमोशन हुए हैं उनमें ज्यादातर वे कर्मचारी हैं जिनकी नियुक्ति 1998 में हुई थी।
पीआरओ बोलीं- सेक्शन ऑफिसर पद के लिए प्रमोशन किए जाएंगे
पीआरओ ने बताया कि इन सभी नोशनल प्रमोशन के उपरांत एक वरिष्ठता सूची निकाली जाएगी। इसके आधार पर सेक्शन ऑफिसर पद के लिए प्रमोशन किए जाएंगे। समिति ने इस दौरान विश्वविद्यालय के बंद होने के बावजूद निरंतर कार्य किया है। जबकि उस समिति के कई सदस्यों को इस बीच कोरोना से भी जूझना पड़ा। कर्मचारियों ने पत्र लिखकर कुलपति एवं विश्वविद्यालय प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापित किया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि वर्तमान महामारी की परिस्थितियों में को देखते हुए इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि विश्वविद्यालय ने बंद होने के बावजूद अपने कर्मचारियों के हित के लिए इतना महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने इस बात की भी आशा जताई कि जल्द ही बचे हुए मामलों पर भी निर्णय ले लिया जाएगा। अब कर्मचारी भर्ती की प्रक्रिया में भी तेजी आने के आसार जताए जा रहे हैं।