Shravan Month 2020 : 136 वर्ष बाद इस बार आरंभ व अंत सोमवार को, जानें किस सोमवार कौन सा नक्षत्र है Prayagraj News
प्रत्येक सोमवार पर गृह-नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। आचार्य विद्याकांत पांडेय कहते हैैं कि सच्चे हृदय से माह भर शिव की स्तुति में लीन रहना चाहिए।
प्रयागराज, जेएनएन। भगवान शिव का स्तुति पर्व श्रावण मास सोमवार (आज) से आरंभ हुआ है। तीन अगस्त तक चलने वाले श्रावण में शिव का ध्यान, पूजन, भजन, अभिषेक व दर्शन करने वाले भक्तों को मनोवांछित फल मिलेगा। पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय का दावा है कि अबकी 136 साल बाद दुर्लभ संयोग बना है, जब श्रावण मास का आरंभ व अंत सोमवार के दिन से होगा। इसमें पांच सोमवार का संयोग बन रहा है। यह शिव का प्रिय दिन है।
पुरुष 'ओम नम: शिवाय' व महिलाएं 'नम: शिवाय' का करें जाप
प्रत्येक सोमवार पर गृह-नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। श्रावण मास में हर वर्ष शिव भक्त कांवरिया गंगा व संगम में स्नान करके कांवर में जल भरकर काशी व बाबा धाम जलाभिषेक करने जाते थे। कोरोना संक्रमण के कारण कांवरियों का जत्था इस बार नहीं निकलेगा। वहीं, फिजिकल डिस्टेंसिंग (शारीरिक दूरी) के नियम पालन के चलते शिवालयों में भी अपेक्षा से कम भीड़ रहेगी। आचार्य विद्याकांत पांडेय कहते हैैं कि सच्चे हृदय से माह भर शिव की स्तुति में लीन रहना चाहिए। सोमवार को व्रत रखने वाले पुरुषों को 'ओम नम: शिवाय' व महिलाओं को 'नम: शिवाय' का मन में हर समय जप करना चाहिए।
जानें, किस सोमवार कौन सा नक्षत्र है
प्रथम सोमवार (छह जुलाई)
उत्तराषाढ़ नक्षत्र व प्रतिपदा तिथि है। शिव के साथ भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करना अभीष्ट फलदायक रहेगा। इस दिन शिवतत्व की साधना करना अनिष्ट विनाशक सिद्ध होगी।
दूसरा सोमवार (13 जुलाई)
अष्टमी तिथि रहेगी, जिसके स्वामी स्वयं शिव हैं। सोमवार को शिव तिथि का होना विशेष संयोग है। इसके साथ रेवती नक्षत्र रहेगा, जिसके स्वामी पूषण नामक सूर्य हैं। शिव साधना से समस्त रुके कार्य अतिशीध्र पूर्ण होंगे।
तृतीय सोमवार (20 जुलाई)
सोमवती अमावस्या का विशेष संयोग है। शिव के साथ ऋषि, पित्र व गो पूजन करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होगी।
चतुर्थ सोमवार (27 जुलाई)
सप्तमी व अष्टमी दोनों तिथियों का संयोग है। चित्रा नक्षत्र, साध्य योग व वणिज करण विद्यमान रहेंगे। व्रत व शिव स्तुति से राजनीतिक उत्थान, उन्नति, यश-कीर्ति में वृद्धि होगी। साथ ही भूमि, भवन व वाहन की प्राप्ति होगी।
पंचम सोमवार (तीन अगस्त)
पूर्णिमा, उत्तराषाढ़ नक्षत्र रहेगा। शिव स्तुति से स्वास्थ लाभ, रोग की निवृत्ति होगी।
शनि प्रदोष का संयोग
श्रावण मास में दो शनि प्रदोष भी पड़ रहे हैं। 18 जुलाई व एक अगस्त को शनि प्रदोष है। इस दिन प्रदोष का व्रत आरंभ करने से पुत्र व धन की प्राप्ति होती है।
रुद्राभिषेक का महत्व
-गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करने से धन की प्राप्ति होती।
-गाय के दूध से रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि व संतान की प्राप्ति होती है।
-कुस मिश्रित गंगाजल से रुद्राभिषेक करने से समस्त रोगों से मुक्ति मिलती है।
-शर्करा (चीनी या गुड़ के रस) से रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि व धन की प्राप्ति होती है।
-दही से पशु पालन की मनोवृत्त की प्रप्ति होती है।
-शहद से रुद्राभिषेक धन की प्राप्ति होती है।
-तीर्थ के जल से रुद्राभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
-पंचामृत से रुद्राभिषेक करने से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है।